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दिल्ली के इतिहासकार डॉक्टर ललित मिश्र की रिसर्च लाई रंग, राम मंदिर की शोभा बढ़ाएगा कोविदार

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प्राण प्रतिष्ठा से पहले राम मंदिर में जहां श्रीराम के जीवनकाल को दर्शाया जा रहा है तो वहीं इस मंदिर में रामराज्य का राजचिह्न भी सहेजा जा रहा है। ध्वजा पताका पर कोविदार वृक्ष को बनाया जा रहा है जो रघुकुल का प्रतीक था।

राम मंदिर परिसर में कोविदार के प्लांटेशन के लिए मंदिर ट्रस्ट ने नई दिल्ली के इतिहासकार डॉक्टर ललित मिश्र की कोविदार पर रिसर्च को अहम मानते हुए पौधे को मंदिर परिसर में लगा रहा है।

ललित मिश्र ने मंदिर में पौधारोपण करने वाली संस्था GMR के दिल्ली स्थित मुख्यालय में कोविदार की प्रामाणिकता पर प्रेजेंटेशन दिया था। इसी के फलस्वरूप आज राम मंदिर परिसर में कोविदार के 2 पौधे लगाए गए हैं।

ललित मिश्र को न केवल वाल्मीकि रामायण के अध्ययन के दौरान कोविदार से परिचित होने का अवसर मिला, बल्कि हरिवंश पुराण में भी कोविदार का उल्लेख मिला। इसके अनुसार ऋषि कश्यप ने पारिजात में मंदार का सार मिलाकर मिलाकर कोविदार का पौधा तैयार किया। यह संभवत: पहला हाइब्रिड प्लांट था।

कोविदार अपनी पहचान और महत्ता से भले वंचित हो गया हो, किंतु यह अभी भी प्राप्य है। 25 मीटर तक ऊंचा यह वृक्ष फूल एवं फलदार भी होता है। इसमें बैगनी रंग के फूल खिलते हैं, जो कचनार के फूल जैसे होते हैं। इसका फल स्वादिष्ट एवं पौष्टिक माना जाता है।

कोविदार कथा:

कोविदार का वृक्ष का संदर्भ वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में मिलता है। अब इसी को अयोध्या में बन रहे भव्य राममंदिर में सजाया जाएगा।

जब कोविदार वृक्ष देख लक्ष्मण ने पहचानी थी सेना

जब भरत श्रीराम को अयोध्या लौटा लाने के उद्देश्य से सेना सहित चित्रकूट पहुंचते हैं और सेना श्रीराम की पर्णकुटी के समीप पहुंचती है, तब श्रीराम को कोलाहल का अनुभव होता है। श्रीराम लक्ष्मण से कोलाहल के बारे में पता करने को कहते हैं, लक्ष्मण आती हुई सेना के आगे चल रहे रथ की ध्वजा पर कोविदार वृक्ष का अंकन देख कर तुरंत पहचान लेते हैं कि यह अयोध्या की सेना है, जो भरत के नेतृत्व में हमारी ओर आ रही है।

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प्रादेशिक

बिहार में पुरुष शिक्षक हुआ गर्भवती, मैटरनिटी लीव भी मिला, जानें पूरा मामला

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हाजीपुर। अक्सर बिहार का शिक्षा विभाग सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार तो शिक्षा विभाग में बड़ा कांड हो गया। शिक्षा विभाग ने एक पुरुष BPSC शिक्षक को गर्भवती बना दिया और मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) भी दे दी। खबर सामने आने के बाद अब बिहार शिक्षा विभाग और टीचरों का मजाक उड़ रहा है।

आधिकारिक वेबसाइट पर हुआ अपलोड

यह मामला हाजीपुर महुआ प्रखंड क्षेत्र के उच्च विद्यालय हसनपुर ओसती का है। यहां पर तैनात बीपीएससी टीचर जितेंद्र कुमार सिंह को शिक्षा विभाग की तरफ से गर्भवती बताकर छुट्टी दे दिया गया है। शिक्षा विभाग के पोर्टल ई शिक्षा कोष पर जितेंद्र कुमार सिंह को मैटरनिटी लीव दिया गया है। शिक्षा विभाग की नजरों में और ऑफिशल वेबसाइट के अनुसार, शिक्षक जितेंद्र कुमार सिंह प्रेग्नेंट हैं और छुट्टी पर हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि मैटरनिटी लीव सिर्फ और सिर्फ महिला टीचर के लिए होती है। महिला शिक्षकों को यह छुट्टी तब मिलती है जब वह गर्भवती हों और बच्चे को जन्म देने वाली हों। लेकिन हाजीपुर में तो मामला ही पलट गया है। यहां तो पुरुष टीचर को भी मैटरनिटी लीव दिया गया है।

शिक्षा विभाग ने मानी गलती

हालांकि इस मामले में प्रखंड शिक्षा अधिकारी अर्चना कुमारी ने विभाग की गलती कबूल करते हुए यह बात कहा है कि गड़बड़ी से पोर्टल पर इस तरीके का हुआ है। पुरुष टीचर को इस तरीके की छुट्टी नहीं दी जाती। इसमें जल्द ही सुधार किया जाएगा।

लोग शिक्षा विभाग का बना रहे मजाक

जिस तरीके से एक टीचर को महिलाओं को मिलने वाली छुट्टी दी गई है, उससे जिले के पुरुष शिक्षकों में आक्रोश भी है और हंसी ठिठौली करने का एक अनोखा मुद्दा मिल गया है। शिक्षा विभाग ने कमरे पर जाकर मीडिया से बात करने का अनुमति नहीं दी है नहीं तो टीचर ना जाने क्या-क्या बात मजाक में बोल रहे हैं।

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