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40 वर्ष बाद पुनः प्रकट हुई “सरस्वती” का हुआ भव्य विमोचन

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रायबरेली के फिरोज गांधी कालेज सभागार में 21 नवंबर को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति दिवस कार्यक्रम के अवसर पर इंडियन प्रेस प्रयागराज द्वारा 40 वर्ष बाद पुनः प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका “सरस्वती” का विमोचन समारोह पूर्वक किया गया. पत्रिका के सहायक संपादक अनुपम परिहार ने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युग प्रेरक सम्मान से सम्मानित प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री सुधा वर्गीज, फिल्म गीतकार मनोज मुंतशिर, दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार प्रेम प्रकाश एवं समाजसेवी मुकेश बहादुर सिंह से विमोचन संपन्न कराया।

सरस्वती पत्रिका इंडियन प्रेस प्रयागराज के संस्थापक बाबू चिंतामणि घोष ने 120 वर्ष पहले वर्ष 1900 में सरस्वती का प्रकाशन प्रारंभ किया था. इसके पहले संपादक बाबू श्यामसुंदर दास नियुक्त हुए थे. वर्ष 1903 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती पत्रिका का संपादन संभाला और लगातार 1920 तक उन्होंने सरस्वती पत्रिका का संपादन किया. यह कालखंड हिंदी साहित्य में “द्विवेदी युग” के नाम से जाना जाता है. आचार्य द्विवेदी द्वारा स्वास्थ्य कारणों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के पश्चात सरस्वती 1980 तक प्रकाशित होती रही लेकिन इसके बाद सरस्वती का प्रकाशन बंद हो गया।

40 वर्ष बाद इंडियन प्रेस प्रयागराज में सरस्वती का पुनः प्रकाशन प्रारंभ किया है. इसके प्रधान संपादक प्रोफ़ेसर देवेंद्र कुमार शुक्ला और सहायक संपादक अनुपम परिहार जी नियुक्त हुए हैं. सरस्वती का पुनर्नवा अंक 300 से ज्यादा पृष्ठों का प्रकाशित हुआ है, इसमें सरस्वती के प्रारंभ से लेकर अंत तक सभी संपादकों का विवरण दर्ज है। सरस्वती के पुनः प्रकाशित होने पर हिंदी भाषी समाज और साहित्यकारों में काफी हर्ष है और सभी को उम्मीद है कि सरस्वती पुनः प्रतिष्ठा प्राप्त कर हिंदी को उत्तरोत्तर प्रगति पर ले जाने में अग्रसर होगी।

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पकिस्तान के वो काले कानून जो आप जानकर हो जाएंगे हैरान

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नई दिल्ली। दुनिया के हर देश में कई अजीबोगरीब कानून होते हैं जो लोगों को हैरान करते हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी कई अजीबोगरीब कानून हैं। इस मामले में पड़ोसी देश पहले नंबर पर है। ऐसे कानूनों की वजह से पाकिस्तान की दुनियाभर में आलोचना भी होती है। अभी कुछ महीने पहले ही एक कानून को लेकर उसकी खूब आलोचना हुई थी।

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक अजीबोगरीब विधेयक का प्रस्ताव पेश किया गया था। यह विधेयक पड़ोसी देश के साथ ही दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया था। इस बिल में कहा गया था कि 18 साल की उम्र होने पर लोगों की शादी को अनिवार्य कर देना चाहिए। इसके अलावा इस कानून को नहीं मानने वालों को सजा का भी प्रावधान है। पाकिस्तानी राजनेताओं का इसके पीछे तर्क है कि इससे सामाजिक बुराइयों और बच्चों से बलात्कार को रोकने में मदद मिलेगी। आईए जानते हैं पाकिस्तान के कुछ ऐसे ही अजीबोगरीब कानून के बारे में।

बिना इजाजत नहीं छू सकते हैं फोन

पाकिस्तान में बिना इजाजत किसी का फोन छूना गैरकानूनी माना जाता है। अगर कोई गलती से भी किसी दूसरे का फोन छूता है, तो उसे सजा का प्रावधान है। ऐसा करने वाले शख्स को 6 महीने जेल की सजा हो सकती है।

अंग्रेजी अनुवाद है गैरकानूनी

 

पाकिस्तान में आप कुछ शब्दों का अंग्रेजी अनुवाद नहीं कर सकते हैं। इन शब्दों का इंग्लिश ट्रांसलेशन करना गैरकानूनी माना जाता है। यह शब्द हैं अल्लाह, मस्जिद, रसूल या नबी। अगर कोई इनका अंग्रेजी अनुवाद करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होती है।

पढ़ाई की फीस पर लगता है टैक्स

 

पाकिस्तान में पढ़ाई करने पर टैक्स देना पड़ता है। अगर कोई छात्र पढ़ाई पर 2 लाख से अधिक खर्च करता है, तो उसको पांच प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। शायद इसी डर से पाकिस्तान में लोग कम पढ़ाई करते हैं।

लड़की के साथ रहने पर होती है कार्रवाई

अगर कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे जेल की सजा होती है। यहां पर कोई किसी लड़की के साथ दोस्ती नहीं कर सकता है। पड़ोसी देश में कानून है कि शादी के पहले लड़का और लड़की एक साथ नहीं सकते हैं।

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