अन्तर्राष्ट्रीय
सैन्य योगदान करने वाले देशों से अधिक परामर्श करेगा सुरक्षा परिषद
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने स्वीकार किया है कि शांति अभियानों में सैनिकों का योगदान करने वाले देशों के साथ परामर्श की प्रक्रिया दोषपूर्ण है। परिषद ने अब ऐसे देशों के साथ नियमित और व्यापक परामर्श का आह्वान किया है। भारत पिछले वर्ष लगातार इस तरह कर मांग करता रहा था। यह घटनाक्रम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी के कार्यकाल की एक उपलब्धि है, जो अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि व दिसंबर के लिए परिषद के अध्यक्ष सामंथा पॉवर ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है कि परिषद ने माना है कि सैन्य योगदान करने वाले देशों और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के बीच सलाह-मशविरा की मौजूदा प्रक्रिया उम्मीदों के अनुरूप नहीं है और इसे अपनी पूरी संभावना तक पहुंचना बाकी है। पॉवर ने कहा, “सुरक्षा परिषद ठोस, प्रतिनिधिकारी और अर्थपूर्ण आदान-प्रदान के महत्व पर जोर देता है और तीनों घटकों द्वारा पूर्ण भागीदारी के महत्व को रेखांकित करता है ताकि बैठकें उपयोगी और फलदायी हों।”
मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र में होने वाली तमाम बहसों में से जून में हुई एक बहस में यह कहते हुए सुरक्षा परिषद की आलोचना की थी कि यह सुरक्षा परिषद के अंदर के विशेषाधिकार प्राप्त एक छोटे समूह की इच्छा को थोप रहा है कि शांति सैनिकों को युद्ध छेड़ने के एक उपकरण के रूप में देखा जाए। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए भारत से उतना परामर्श नहीं किया गया है। जबकि यह सच्चाई है कि भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़ा सैन्य योगदान करने वाला देश है। भारत ने परिषद द्वारा अबतक चलाए गए 69 शांति अभियानों में से 43 में 170,000 सैनिकों से अधिक का योगदान किया है। फिलहाल भारत के 7,798 सैनिक विभिन्न शांति अभियानों में भाग ले रहे हैं। पॉवर ने गुरुवार को जारी अपने बयान में कहा कि परिषद, सचिवालय और सैन्य योगदान करने वाले देशों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ाए जाने की जरूरत है। इनमें शांति अभियानों के लिए बहुमत जुटाने के अलावा शांति सैनिकों की सुरक्षा, सैन्य रणनीति, लिंग, आचरण, अनुशासन और शांति सैनिकों पर लगने वाले यौन शोषण और हिंसा के आरोपों को भी शामिल करना चाहिए।
अन्तर्राष्ट्रीय
लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद
नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।
बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।
मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।
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