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आध्यात्म

शनि जयंती : काले धागे का ये उपाय बनाएगा आपको धनवान

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आज शनि जयंती है। इस बार शनि अमावस्या पर सर्वार्थसिद्धि योग और मंगलवार का शुभ संयोग बना है। पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की कृपा पाने के लिए और जीवन में सफलता पाने के लिए काले धागे का उपाय बेहद लाभकारी साबित होता है।

शनि दोष से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में काले धागे का विशेष महत्व है। माना जाता है कि काले धागे का यह उपाय धनवान बनने में सहायक सिद्ध होता है।

ऐसे करें काले धागे का उपाय

रेशमी या सूती काले रंग के धागे को लेकर मंगलवार अथवा शनिवार की शाम को हनुमान मंदिर में जाएं। इसके बाद नौ छोटी-छोटी गांठें और हनुमान जी के पांव का सिंदूर लगा लें। इसके बाद अपने घर के मुख्य दरवाजे पर इस धागे को
बांध दें।

अगर आपके घर में किसी प्रकार की आर्थिक समस्या है तो वह जल्द समाप्त हो जाएगी। अगर नहीं है तो कभी आएगी भी नहीं। इसे एक बार प्रयोग करके जरूर देखें।

आध्यात्म

आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

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govardhan puja

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हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।

इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।

गोवर्धन पूजा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।

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