उत्तराखंड
आचार्य श्रीराम शर्मा की 25वीं पुण्यतिथि पर रैली का आयोजन
हरिद्वार। शांतिकुंज ने अपने संस्थापक श्रीराम शर्मा आचार्य की 25वीं पुण्यतिथि पर दुव्र्यसन मुक्ति व वृक्षारोपण के लिए जन जागरुकता रैली निकाली। हजारों पीतवस्त्रधारी साधकों ने आचार्य श्रीराम शर्मा के जीवनोपयोगी सूत्रों को स्वयं धारण करने तथा दूसरों को जागरूक करने के संकल्प के साथ रैली निकाली।
रैली को शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्ता पं. शिवप्रसाद मिश्रा, डॉ. बृजमोहन गौड व श्री रामसहाय शुक्ल ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली शांतिकुंज के गेट नं. 3 से निकली और सप्तऋषि क्षेत्र, भोपतवाला होते हुए युगऋषि के पावन समाधि स्थल पहुँची, जहाँ रैली एक सभा के रूप में परिवर्तित हो गयी। इस अवसर पर वरिष्ठ कार्यकर्ता कालीचरण शर्मा ने कहा कि आज सम्पूर्ण समाज गायत्री परिवार की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है।
इसके पूर्व युग निर्माण तथा विचार क्रान्ति अभियान के संदेशों पर विभिन्न धर्मान्तर्गत समानताओं पर विचार मंथन किया गया। वक्ताओं ने गीता, बाइबिल, गुरुग्रन्थ साहिब, कुरान तथा बौद्ध साहित्य के मर्म के साथ अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा चलाये जा रहे 18 सूत्रीय आन्दोलनों का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया। शांतिकुंज से प्राप्त जानकारी के अनुसार गायत्री जयंती का मुख्य कार्यक्रम 14 जून को होगा, जहाँ आचार्य की सुपुत्री शैलदीदी और गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्îा का विशेष उद्बोधन, गुरुदीक्षा संस्कार आयोजित होंगे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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