मुख्य समाचार
सीताराम येचुरी एक बार फिर माकपा महासचिव चुने गए
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्ट (माकपा) ने रविवार को सीताराम येचुरी को फिर से अपने महासचिव के रूप में निर्वाचित किया। माकपा ने यहां अपनी पार्टी कांग्रेस में 95 सदस्यीय केंद्रीय समिति भी चुनी। माकपा नेता और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने यहां पार्टी की 22वीं कांग्रेस के अंतिम दिन उन्हें फिर से निर्वाचित किए जाने की घोषणा की।
माणिक सरकार ने बताया, “येचुरी को सर्वसम्मति से निर्वाचित किया गया। इस पद के लिए चुनाव में कोई दूसरा व्यक्ति उम्मीदवार नहीं था।”
Sitaram Yechury has been re elected CPI(M) General Secretary at the 22nd Party Congress in Hyderabad. (file pic) pic.twitter.com/dxSURQFzfH
— ANI (@ANI) April 22, 2018
सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को हुआ था। 19 अप्रैल 2015 से महासचिव के रूप में निर्वाचित किया गया था। येचुरी 1974 से माकपा के सदस्य हैं। उनसे पहले प्रकाश करात ने नौ साल तक लगातार तीन कार्यकाल के लिए महासचिव रहे। चेन्नई में जन्मे येचुरी ने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की। दिल्ली में उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकतर समय बिताया है।
हैदराबाद के 22वें कांग्रेस सम्मेलन में सीताराम येचुरी ने अपने तेवर दिखते हुए कहा कि देश को भाजपा मुक्त बनाने के लिए एक वैकल्पिक नीति पाने के लिए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों का एक होना जरूरी है।
उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी सम्मेलन पार्टी की स्वंतत्र गतिविधियों को मजबूती, लोगों के संघर्ष में तेजी, वाम दलों की एकता को मजबूती और वाम व लोकतांत्रिक ताकतों की एकता को बढ़ाने में एक नई दिशा प्रदान करेगा।
येचुरी ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने लोगों को अभूतपूर्व दुख दिया है और साथ ही सामाजिक ताने बाने की एकता व अखंडता को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
उन्होंने कहा, “कठुआ और उन्नाव में दुष्कर्म की दिलों को झकझोर कर रख देनी वाली घटनाओं ने हमारे समाज का अमानवीकरण दर्शाया है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए दुष्कर्म को हथियार के तौर पर प्रयोग करते देखना शर्मनाक है। इसका मुकाबला कर इसे हराया जाना चाहिए।”
कांग्रेस पार्टी के साथ राजनीतिक गठबंधन बनाने की खबरों का खंडन करते हुए प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि माकपा कांग्रेस के साथ तालमेल के लिए तैयार है। प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि उसका पहला और अंतिम लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी को हराना है।
मुख्य समाचार
बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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