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सही सोच के साथ किया जाने वाला तर्क अर्थपूर्ण: श्री श्री

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श्री श्री रविशंकर, आर्ट ऑफ लिविंग, विश्व सांस्कृतिक महोत्सव

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श्री श्री रविशंकर, आर्ट ऑफ लिविंग, विश्व सांस्कृतिक महोत्सव

नई दिल्ली| आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने शनिवार को कहा कि सोचना, बहस करना और वाद-विवाद करना निश्चित रूप से तब कुछ अर्थपूर्ण होगा, जब यह सही मंशा से किया जाता है। उन्होंने यहां आयोजित विश्व संस्कृति महोत्सव के एक सत्र में कहा कि युवा नेताओं को चुनौतियों से दूर नहीं भागना चाहिए, क्योंकि यही तरुणाई और ऊर्जा को दर्शाता है। अध्यात्मिक गुरु ने कहा, “अव्यवस्था तो छद्म वरदान है। जब कभी अव्यवस्था होती है तो नेताओं को भूमिका निभानी पड़ती है। चूंकि दुनिया में अव्यवस्था की कमी नहीं है, इसलिए हमें अधिक नेताओं की आवश्यकता है।” उन्होंने प्राचीन भारत में एक गांव में हुए झगड़े के समाधान की चर्चा करते हुए कहा कि अगर संघर्ष के समाधान की इच्छा हो तो सभी तरह के झगड़े निपटाए जा सकते हैं।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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