Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तराखंड

स्वच्छ भारत मिशन में पौड़ी नौवें स्थान पर

Published

on

स्वच्छ भारत मिशन, पौड़ी नौवें स्थान पर, एक लाख से अधिक परिवार, कराया शौचालय निर्माण, अक्टूबर 2018, खुले में शौच से पूर्णतया मुक्ति

Loading

 

स्वच्छ भारत मिशन, पौड़ी नौवें स्थान पर, एक लाख से अधिक परिवार, कराया शौचालय निर्माण, अक्टूबर 2018, खुले में शौच से पूर्णतया मुक्ति

swachh bharat abhiyan toilet

एक लाख से अधिक परिवारों ने कराया शौचालय निर्माण

पौड़ी। जिले में सभी 1214 ग्राम पंचायतों में 1 लाख 11 हजार 340 परिवारां ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण कर दिए हैं। जिले में अभी भी 36 हजार 313 परिवार शौचालय विहीन हैं। ऐसे में पौड़ी जिले में 75.40 प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय की सुविधा हो गई है। विकासखण्ड पौड़ी के सभागार में खुले में शौच से मुक्ति को लेकर स्वच्छ भारत मिशन के तहत कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें इस अभियान के रुद्रप्रयाग जनपद प्रभारी अभियंता वसीम अहमद ने बताया कि मई माह में पौड़ी जिले के सभी 15 विकासखण्डों, स्कूलों व गांवों में सघन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खुले में शौच से मुक्ति के लिए प्रत्येक ग्राम प्रधान, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, प्रमुख एवं विधायकों का समर्थन मिल रहा है।

अक्टूबर 2018 तक खुले में शौच से पूर्णतया मुक्ति

कार्यशाला में सामुदायिक विकास विशेषज्ञ राजेन्द्र भण्डारी ने बताया कि पौड़ी जिले के सभी 1214 ग्राम पंचायतों में से 1 लाख 11 हजार 340 परिवारों ने शौचालयों का निर्माण कर लिया है और अब 36 हजार 313 परिवार ही शौचालय विहीन हैं। उन्होंने बताया कि शौचालयों के मामले में उत्तराखण्ड का स्थान पूरे देश में छठवें स्थान पर है। पौड़ी जिले में 75.40 प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय हैं। उन्होंने कहा कि इस जिले के खिर्सू विकासखण्ड में करीब 90 प्रतिशत परिवारों ने शौचालयों का निर्माण कर दिया है और इस मामले में 56.25 प्रतिशत परिवारों के शौचालय होने के साथ ही नैनीडांडा ब्लॉक सबसे पिछड़ा है। ऐसे में प्रदेश में शौचालय के मामले में पौड़ी जिला नवें स्थान और देहरादून पहले स्थान पर है।

कार्यशाला में परियोजना प्रबन्धक स्वजल रामेश्वर चौहान ने बताया कि जिले के खिर्सू विकासखण्ड में छः महीने के भीतर खुले में शौच से सौ फीसद मुक्ति दिलायी जाएगी। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर 2018 तक पूरे जिले को खुले में शौच से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीपीएल परिवारों के साथ ही एपीएल श्रेणी के अंतर्गत सीमान्त कृषक, भूमिहीन स्थायी निवासी, एससी, एसटी, महिला मुखिया, विकलांग परिवारों को सरकार की ओर से शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि पौड़ी जिले में 127 ग्राम पंचायतें खुले में शौच से पूर्णतया मुक्ति पा चुके हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ मुनेन्द्र बडोनी ने बताया कि शौचालयों के निर्माण के साथ ही पर्यावरण स्वच्छता का भी अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत गांवों में जैविक व अजैविक कूड़े का निस्तारण, नालियों व गढ्ढों का निर्माण, गोबर का उचित निस्तारण, पानी के स्रोतों की सफाई पर विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस मौके पर संचार विशेषज्ञ जयप्रकाश पंवार ने बताया कि खुले में शौच से मुक्ति के लिए गांव-गांव तक अभियान चलाया जाएगा।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

Published

on

Loading

उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

Continue Reading

Trending