आध्यात्म
SwamiVivekananda : स्वामी विवेकानंद के वो 5 प्रेरक विचार, जो युवाओं को करते हैं प्रेरित
हर साल आज के दिन यानी 12 जनवरी को पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। ये दिवस स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य पर मनाया जाता है।
बता दे, स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को कोलकाता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे।
स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार आज भी उन्हें लोगों के बीच जीवित रखे हुए हैं। आइए जानते है, उनके प्रेरक विचार के बारे में –
स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरक विचार –
पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
दिन में कम से कम एक बार अपने आप से बात करें। अन्यथा आपने दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति से होने वाली मुलाकात को छोड़ रहे हो।
जो लोग आपकी मदद करते हैं उन्हें कभी मत भूलो। जो आपको प्यार करते हैं उनसे कभी घृणा न करो। जो लोग तुम पर भरोसा करते हैं उन्हें कभी भी धोखा न दो।
जब तक तुम अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक तुम्हें ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता।
उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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