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तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश परीक्षा से मुक्त करें : जयललिता
चेन्नई| तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह आवश्यक कदम उठाए, ताकि राज्य में मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में प्रवेश की मौजूदा व्यवस्था का जारी रह सके। जयललिता ने इस आशय का एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को लिखा, जिसकी प्रति बुधवार को मीडिया को जारी की गई।
उन्होंने शैक्षणिक वर्ष 2016-17 के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट देने के लिए अध्यादेश जारी करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।
जयललिता ने कहा कि अध्यादेश चालू वर्ष के लिए मुद्दे का अस्थाई हल होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जैसा कि मैंने अपने पहले के पत्रों में आपको बताया है, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए सन् 2005 से तमिलनाडु सरकार ने कई कदम उठाए हैं और सतर्कता से विचार करने के बाद तमिलनाडु व्यावसायिक शिक्षण संस्थान प्रवेश अधिनियम, 2016 बनाकर बाद में स्नातक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षाओं को समाप्त कर दिया।”
जयललिता ने कहा कि राज्य सरकार ने ये कदम कमजोर वर्गो और ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों के हितों की हिफाजत के लिए उठाए हैं, ताकि उन्हें भी समाज की मुख्य धारा में आने का मौका मिल सके।
उन्होंने कहा कि इस तरह की समान प्रवेश परीक्षाओं में ग्रामीण और कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के विद्यार्थी शहरी अभिजात्य वर्गीय विद्यार्थियों से प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ होंगे। इन परीक्षाओं की रूपरेखा शहरी विद्यार्थियों के पक्ष में बनाई गई है।
जयललिता ने कहा, “तमिलनाडु सरकार स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के क्रम में पहाड़ी और जनजातीय इलाकों में सेवाएं देने वालों को खास तवज्जो के साथ ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले विद्यार्थियों को अहमियत देती है।”
जयललिता ने कहा कि नीट लागू होने से इस नीति के क्रियान्वयन और राज्य के सामाजिक-आर्थिक उद्देश्य निर्थक हो जाएंगे, क्योंकि राष्ट्रीय परीक्षा के नियमों में इस तरह के प्रावधान नहीं भी हो सकते हैं।
जयललिता के अनुसार, राष्ट्रीय परीक्षा का तमिलनाडु की वर्तमान सामाजिक-आर्थिकपरिवेश और प्रशासनिक जरूरतों से कोई मेल नहीं है।
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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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