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आध्यात्म

शुक्ल व ब्रह्म योग के संयोग के साथ है नवरात्र का आगमन, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र इस वर्ष 26 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है। नवरात्र पूजन का आरंभ और कलश स्थापना के लिए दिन भर का समय शुभ है। इस साल शुक्ल व ब्रह्म योग के अदभुत संयोग के साथ नवरात्र का आगमन हो रहा है। इन दिनों में मां के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाएगी। पंचांग के अनुसार महाष्टमी का व्रत-पूजन 3 अक्टूबर सोमवार को होगा।

अष्टमी-नवमी तिथि की संधि पूजा का मुहूर्त दिन में 3:36 बजे से 4:24 बजे तक होगा। महानवमी तिथि का मान चार अक्टूबर मंगलवार को होगा। नवमी तिथि दिन में 1.32 बजे तक है। अत: इससे पूर्व ही नवरात्र व्रत अनुष्ठान से संबंधित हवन-पूजन कर लिए जाएंगे।

इसी दिन में अपराह्न 1.32 बजे के बाद दशमी तिथि का प्रवेश हो जाएगा। अत: विजयादशमी का पर्व भी चार अक्टूबर मंगलवार को हीं मनाया जाएगा। शनि पूजन, अपराजिता पूजन, जयंती ग्रहण, नीलकंठ दर्शन, आयुध पूजन आदि भी कर लिए जाएंगे। विजय यात्रा का शुभ मुहूर्त अपराह्न 1.58 से 2.44 बजे तक दक्षिण दिशा की होगी।

सोमवार को नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण मां दुर्गा गज की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आएंगी। जो कि अत्यधिक वर्षा का सूचक है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसके प्रभाव से चारों ओर हरियाली होगी। फसलों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। देश में अन्न के भंडार भरेंगे। धन और धान्य में वृद्धि होगी।

बंगीय परंपरा के अनुसार भी माता के आगमन का हाथी एवं अत्यधिक वर्षा से संबंधित है। जबकि चार अक्टूबर को दिन 1.32 बजे के बाद अपराह्न काल में दशमी तिथि आ जाने के कारण विजयादशमी का मान हो जाएगा।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी मात्र सूचना के लिए है। इसकी पूर्ण सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ से परामर्श करें।

 

व्रत एवं त्यौहार

CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं

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मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।

छठ पूजा क्यों मनाते है ?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.

छठ पर्व के 4 दिन

छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण

 

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