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कुंभ क्षेत्र में अखाड़ों के बसावट की प्रकिया शुरू, अखाड़ों की उपस्थिति से कुंभ क्षेत्र में बढ़ी रौनक

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प्रयागराज | प्रयागराज में होने जा रहे सनातन परंपरा के सबसे बड़े समागम महाकुंभ 2025 में कुंभ क्षेत्र में साधु संतों की चहल पहल बढ़नी शुरू हो गई है। महाकुंभ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों की बसावट की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीएम योगी के निर्देश पर कुंभ मेला प्रशासन ने अखाड़ों के संतों की सहमति से कुंभ क्षेत्र में छावनी बसाने के लिए भूमि आवंटित करनी शुरू कर दी है।

कुंभ क्षेत्र में 10 अखाड़ों को किया गया भूमि का आवंटन

मुख्यमंत्री योगी की दिव्य और भव्य महाकुंभ के आयोजन की परिकल्पना ने कुंभ क्षेत्र में आकार लेना प्रारंभ कर दिया है। इस दिशा के सबसे पहले कदम सनातन संस्कृति के प्रतीक अखाड़ों को भूमि आवंटन की प्रकिया शुरू हो गई। कुंभ क्षेत्र में आज संन्यासी और उदासीन अखाड़ों के संतों को अपनी छावनी लगाने के लिए कुंभ मेला प्रशासन की तरफ से भूमि का आवंटन शुरू कर दिया गया। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि आवंटन के पहले दिन साधु संतों की सहमति से दस अखाड़ों की कुंभ क्षेत्र में जमीन का आवंटन किया गया है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि पहले दिन संन्यासी और उदासीन अखाड़ों के लिए भूमि आवंटित की गई। प्रशासन के सहयोग से अब यहां भूमि पूजन की प्रकिया पूरी करने के बाद अन्य परंपराएं पूरी की जाएंगी ।

अखाड़ों ने अपनी भूमि का किया सीमांकन, खूंटा गाड़ने की परंपरा हुई पूरी

सभी अखाड़ों में भूमि आवंटन की सहमति बनने के साथ ही कुंभ मेला प्रशासन के अधिकारियों की टीम अखाड़ों के साधु संतो के साथ कुंभ मेला क्षेत्र में अखाड़ा सेक्टर पहुंची । यहां मेला प्रशासन की तरफ से अखाड़ों को उनकी भूमि को दिखाया गया जहां उनकी छावनी लगनी है। पूरी तरह समतल भूमि पर अखाड़ों ने अपनी अपनी भूमि का सीमांकन किया । इसके उपरांत कुंभ क्षेत्र में खूंटा गाड़ने की परम्परा पूरी की गई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी बताते है कि मेला क्षेत्र में भूमि सीमांकन के साथ ही अखाड़ों ने अपने खूंटे गाड़ दिए हैं अब अखाड़ों के सभी कार्यक्रम इसी भूमि से संपादित होंगे। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी के सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है कि कुंभ की स्थापित परंपरा के अनुसार ही मेला प्रशासन से हमें भूमि प्राप्त हुई है। अब अखाड़े की पूर्व नियोजित योजना के अनुसार बसावट का कार्य पूरा होगा।

मेला प्रशासन और अखाड़ों के बीच संपन्न बैठक से बनी सहमति

मेला प्राधिकरण की तरफ से 18 और 19 नवम्बर को अखाड़ों के लिए भूमि आवंटन की योजना बनी थी। उसी के अनुरूप सोमवार की श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण के मुख्यालय में मेला प्रशासन और अखाड़ों के बीच एक समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में ही मेला क्षेत्र में अखाड़ों के लिए भूमि आवंटन पर अंतिम मुहर लगी।बैठक समापन के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि “हम सभी 13 अखाड़े एकजुट हैं और मेला प्रशासन जो जमीन हमें देगा, हम उस पर तैयार हैं। उन्होंने कहा, “ हमारा मेला है, हमारे मुख्यमंत्री योगी जी हैं..। जहां-जहां जमीन हमें आबंटित होगी, हम खुशी से वहां निशान लगाएंगे।”महंत रवींद्र पुरी ने कहा, “बैठक में सभी की समस्याएं सुनी गईं जिनका हल निकाल लिया गया है। इस बैठक में 10 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं.. बाकी तीन अखाड़ों से भी हमारी बात हुई है। हम सब एक हैं। हमने प्रशासन से जमीन और सुविधाएं बढ़ाने की बात कही थी जिसे प्रशासन ने मान ली है।”
आज दस अखाड़ों को भूमि का आवंटन किया गया। शेष तीन वैष्णव अखाड़ों को 19 नवंबर को भूमि आवंटन होगा।

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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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