ऑफ़बीट
अगर आप भी इतने तापमान पर चलाते हैं एसी, तो मौत धीरे-धीरे आपके करीब आ रही है!
नई दिल्ली। गर्मी का मौसम आते ही इंसान एसी ढूंढने लगता है। आजकल के भीषण गर्मी के इस दौर में बिना एसी के रह पाना लोगों के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है। आज हम आपको एसी से जुड़ी एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि एसी के तापमान से आपके शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
अगर आप भी रोज एसी चलाकर सोते हैं तो आपके इस बारे में पता होना चाहिए कि सोते वक्त कमरे में लगाए गए एसी का तापमान कितना रखा जाना चाहिए। आप ज्यादा कंफर्टेबल होने के लिए एसी का तापमान बहुत कम कर देते हैं जो आपकी सेहत और त्वचा के लिए नुकसानदायक है।
अमेरिकी सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग और एयर कंडीशनिंग इंजीनियर के अनुसार, आपको अपनी एसी को 25 डिग्री सेल्सियस पर चलाना चाहिए। यह एक स्टैण्डर्ड टेम्परेचर है। चलिए जानते हैं एसी को कितने टेम्परेचर पर चलाने से आपको क्या फायदे-नुकसान होते हैं।
एसी का टेम्परेचर आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है। आमतौर पर त्वचा में त्वचा को हाइड्रेटेड रखने और इसे सूखने से रोकने के लिए त्वचा में कई तंत्र होते हैं, त्वचा की सतह पर पानी बहुत धीरे-धीरे अवशोषित होता है लेकिन 30-32 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर पसीने और तेल ग्रंथियों से अतिरिक्त हाइड्रेशन प्रदान किया जाता है।
24-28 डिग्री से डेंगू होने का खतरा जो लोग घर में एसी का तापमान 24-28 डिग्री सेल्सियस के बीच रखते हैं उनके यहां डेंगू मच्छर के होने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है।
मौसम विज्ञानियों की मानें तो यह तापमान मच्छरों के प्रजनन में सबसे ज्यादा सहायक होता है। उनका कहना है कि वेक्टर जनित रोगों अर्थात मलेरिया, डेंगू, काला-ज़ार, जापानी इन्सेफलाइटिस वचिकुनगुनिया से संबंधित मच्छर बाहर प्रजनन करते हैं जबकि डेंगू से संबंधित मच्छर का प्रजनन डिब्बों में होता है।
अगर डिब्बे का तापमान 24-28 डिग्री सेल्सियस के बीच है तो तब डेंगू के एडीज मच्छर का प्रजनन सरलता से होता है। 22- 25 डिग्री के बीच के एसी के तापमान को सबसे सही माना जाता है। यह न केवल सेहत के लिए अच्छा होता है बल्कि इससे बिजली के बिल में 5 से 15 परसेंट की बजत भी होती है।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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