आध्यात्म
कल 3 जून को है विनायक चतुर्थी, बन रहा है बेहद शुभ योग; जानिए पूजन विधि
प्रत्येक हिंदी माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में पूजा जाता है। इसी क्रम में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि कल 3 जून शुक्रवार को है।
इस पावन दिन विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है। भगवान श्रीगणेश प्रथम पूजनीय देव हैं। किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से विघ्नहर्ता की भक्तों पर हमेशा कृपा बनी रहती है।
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2022-
3 जून, शुक्रवार को चतुर्थी तिथि सुबह 10:56 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 4 जून को देर रात 01:43 मिनट पर समाप्त होगी।
विनायक चतुर्थी पर बनने वाले शुभ योग-
विनायक चतुर्थी के दिन वृद्धि, ध्रुव, सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग का निर्माण हो रहा है।
शास्त्रों में इन योगों को बेहद शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05:23 से शाम 07:05 बजे तक रहेगा।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
घर के मंदिर में सफाई कर दीप प्रज्वलित करें।
इसके बाद भगवान गणेश का गंगा जल से जलाभिषेक करें।
भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं।
गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं और दूर्वा अर्पित करें। गणेश जी को दूर्वा अतिप्रिय है।
जो भी भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भगवान गणेश की आरती करें और भोग लगाएं। गणेश जी को मोदक, लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए।
अगर आप व्रत रख सकते हैं तो इस दिन व्रत रखें।
विनायक चतुर्थी महत्व-
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी व्रत रखने से विघ्न बाधाएं दूर होती हैं।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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