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उत्तराखंड

आपदा पीड़ित परिवारों को 4 लाख रुपए का मुआवजा देगी उत्तराखंड सरकार

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को उत्तरकाशी जनपद के आराकोट पहुंचकर गत रविवार को आई प्राकृतिक आपदा अतिवृष्टि के कारण आराकोट, माकुडी, टिकोची, किराणु, चीवां, बलावट, दुचाणु, डगोली, बरनाली, गोकुल, मौंडा गांव का स्थलीय और हेलीकॉप्टर से निरीक्षण किया।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र आराकोट में दैवीय आपदा से पीड़ित लोगों से मिले और ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का भरोसा दिया। उन्होंने आराकोट इंटर कालेज में बनाए गए बेस कैंम्प व दैवीय आपदा से हुए नुकसान का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि आपदा में मारे गए परिजनों को दैवीय आपदा के मानकों के अनुसार शीघ्र मुआवजा राशि दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक मृत के परिजनों को 4-4 लाख की धनराशि दी जाएगी। घायलों का ईलाज निःशुल्क सरकार के द्वारा किया जा रहा हैं। बेघर हुए लोगों के लिए ग्राम समाज की भूमि का चयन करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रभावित काश्तकारों की सेब,भूमि व भवनों के क्षति के आंकलन की रिर्पोट तैयार करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिए। ताकि शीघ्र प्रभावित लोगों को मुआवजा राशि वितरण कराई जा सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की पशुहानि का मुआवजा भी आपदा मानकों के अनुरूप शीघ्र प्रभावित लोगों को दिया जाएगा।

उन्होंने भरोसा दिया कि इस दुख की घड़ी में सरकार पूर्ण रूप से प्रभावित ग्रामीणों के साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावित सभी गांवों में राशन,पानी, कपड़े, कंबल व आवश्यक दवाईयां आदि पर्याप्त मात्रा में हेली से पंहुचाया गया है तथा जिला प्रशासन लगातार कार्य कर रहा हैं।

मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि आपदा के कारण जानमाल का काफी नुकसान हुआ हैं। जिसमें सड़क,बिजली,पानी,सिचाई आदि जैसी सुविधाएं क्षतिग्रस्त हुई है। उन्होंने कहा कि यातायात को जल्द से सुचारू करना सरकार की प्राथमिकता है सड़क खुलने के साथ ही मुलभूत सुविधाओं को शीघ्र दुरूस्त कर लिया जाएगा।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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