प्रादेशिक
यूपी ने दूसरे राज्यों को छोड़ा पीछे, टीकाकरण में बनाया नया रिकॉर्ड
लखनऊ। यूपी ने कोरोना टीकाकरण में दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए अपने नाम एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है। महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, वेस्ट बंगाल समेत दूसरे कई राज्यों से आगे निकल 6 करोड़ से अधिक टीकाकरण की डोज दी हैं। यह आंकड़ा देश के दूसरे प्रदेशों से कहीं अधिक है। यूपी टीकाकरण के साथ ही सर्वाधिक जांच करने वाला प्रदेश है। ट्रिपल टी की रणनीति व टीकाकरण से यूपी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नियंत्रण में हैं। प्रदेश में वृहद टीकाकरण अभियान के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के मूल मंत्र पर टीकाकरण किया जा रहा है।
प्रदेश में वैक्सीन की पहली खुराक 5 करोड़ 07 लाख से अधिक और 94 लाख से अधिक वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है। बता दें कि मेगा वैक्सिनेशन में एक दिन में सर्वाधिक टीकाकरण कर यूपी देश के दूसरे प्रदेशों के समक्ष नज़ीर पेश कर चुका है। योगी सरकार ने मेगा वैक्सिनेशन ड्राइव के तहत एक दिन में 20 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसके सापेक्ष में यूपी ने 29.52 लाख लोगों का टीकाकरण किया था। जो एक दिन में किया गया अब तक का सर्वाधिक टीकाकरण था। एक दिन में अब तक सबसे अधिक वैक्सीन की डोज लगाकर योगी सरकार रिकार्ड बना चुकी है।
14 दिनों के अंदर एक करोड़ टीकाकरण कर अपने लक्ष्य के करीब पहुंचा यूपी
यूपी में टीकाकरण अभियान को गति देते हुए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में युद्धस्तर पर टीकाकरण किया जा रहा है। तीन अगस्त को यूपी ने पांच करोड़ टीकाकरण कर एक कीर्तिमान बनाया था वहीं महज 14 दिनों में एक करोड़ टीकाकरण कर यूपी ने छह करोड़ टीकाकरण कर अपने निर्धारित टीकाकरण लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। 31 अगस्त तक 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मिशन जून के तहत प्रदेश सरकार ने एक करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था लेकिन प्रदेश में इससे कहीं अधिक एक करोड़ 29 हजार टीके की डोज दी गई।
यूपी ऐसे रहा महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से टीकाकरण में अव्वल
25 करोड़ के आबादी वाले उत्तर प्रदेश से देश के दूसरे प्रदेश टीकाकरण में कहीं पीछे हैं। वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में जहां काम आबादी होने के बावजूद टीकाकरण धीमी गति से चल रहा कहीं यूपी लगातार रिकॉर्ड बना रहा है। वेस्ट बंगाल में अब तक तीन करोड़ 47 लाख, केरल में दो करोड़ 47 लाख,महाराष्ट्र में पांच करोड़ 03 लाख, दिल्ली में एक करोड़ 17 लाख और तमिलनाडु दो करोड़ 72 लाख ही वैक्सिनेशन किया गया है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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