उत्तराखंड
नियमितीकरण की मांग लेकर उपनल कर्मचारी तीन दिन की हड़ताल पर
देहरादून। नियमितीकरण की एक सूत्रीय मांग को लेकर विभिन्न विभागों में कार्यरत उपनल कर्मचारी आज से तीन दिन की हड़ताल पर चले गये। परेड मैदान में कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। उपनल कर्मचारी महासंघ ने चेतावनी दी कि अगर तीन दिन के भीतर सरकार ने नियमितीकरण का आदेश जारी नहीं किया तो बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी जायेगी।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष भावेश जगूड़ी ने बताया कि लम्बे समय से उपनल कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की जा रही है। कई बार मुख्यमंत्री और शासन स्तर पर वार्ता भी हुई, लेकिन कार्रवाई आश्वासन से आगे नहीं बढ़ पाई।
उपनल कर्मियों के पदों पर सीधी भर्ती से स्थाई नियुक्ति की जा रही है और उपनल कर्मचारियों को बेराजगार किया जा रहा है। इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
उपनल कर्मचारियों के साथ सरकार का यह सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अगर सरकार अब भी नहीं चेती तो आंदोलन को तेज करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
पांच वर्ष से अधिक आउटसोर्सिंग में सेवाएं दे रहे कर्मचारी अब नियमित होने की मांग कर रहे हैं। महासंघ के अध्यक्ष भावेश जगूड़ी ने बताया कि सरकार के कई बार आश्वस्त करने के बावजूद उपनल कर्मचारियों की अनदेखी हो रही है।
सरकार हमारे नियमितीकरण के प्रयास नहीं कर रही। अब हमारी मांग है कि पहले आउटसोर्सिंग से हटाकर हमें विभागों में सीधे संविदा पर माना जाए। जिन कर्मचारियों की सेवाएं पांच साल से अधिक हो चुकी हैं उन्हें नियमित किया जाए।
बता दें कि उपनल के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर विभिन्न सरकारी महकमों में लगभग 16,500 कर्मचारी तैनात हैं। उपनल कर्मियों की हड़ताल से सचिवालय से लेकर तमाम महकमों में सेवाएं प्रभावित होंगी।
हालांकि उपनल कर्मचारी महासंघ ने आपातकालीन सेवाएं जैसे अस्पताल की इमरजेंसी, कोषागार आदि अगले तीन दिन पर बाधित नहीं करने का निर्णय लिया है। इस दौरान अस्पतालों में इमरजेंसी और कोषागार जैसी आवश्यक सेवाओं को सुचारु रखा जायेगा, लेकिन तीन दिन के बाद अगर सरकार नहीं मानी तो तमाम सेवाएं पूरी तरह से ठप कर दी जाएंगी तथा आंदोलन को और तेज कर दिया जायेगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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