उत्तराखंड
नहीं बन सकी उपनल कर्मियों की मांगों पर सहमति
उपनल कर्मियों का सीएम आवास कूच, पुलिस ने रोका
देहरादून। उपनल के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर तैनात कर्मचारियों की हड़ताल पर मंगलवार को मंत्रिमंडल में चर्चा तो हुई लेकिन नियमित करने की मांग पर कोई सहमति नहीं बनी। सीएम ने हाल में उपनल कर्मियों के बढ़ाए तीन हजार मानदेय से सर्विस टैक्स और अन्य चार्ज में होने वाली कटौती को कम कर अधिकतम बढ़ोत्तरी लाभ कर्मचारियों को देने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए मानदेय के ढांचे में बदलाव किया जाएगा।
उपनल कर्मचारियों की उन्हें नियमित करने की मांग पर कोई सहमति बनती नहीं दिख रही है। मंत्रिमंडल में पांच वर्ष से अधिक समय से सेवाएं दे रहे उपनल कर्मचारियों को नियमित करने की मांग पर मंथन हुआ। अधिकारियों ने नियमित किये जाने के लिए नियमों में प्रावधान नहीं होने का हवाला दिया।
16500 कर्मचारियों की सेवाएं बनाए रखने पर सरकार सहमत है। हालांकि जिन कर्मचारियों को बीते एक वर्ष में सेवाओं से बाहर किया है उन्हें तभी वापस लिया जाएगा जब जिस पद के सापेक्ष उन्हें रखा गया है। उसमें नियमित कर्मचारी की तैनाती नहीं हुई होगी। सरकार मानदेय वृद्धि के मसले पर कर्मचारियों के पक्ष में है। पिछली कैबिनेट में जो तीन हजार रुपये मासिक मानदेय में बढ़े हैं उसमें कम से कम कटौती कर अधिकतम राशि कर्मचारियों को मिलेगी।
वहीं दूसरी ओर नियमितीकरण की एक सूत्रीय मांग को लेकर उपनल कर्मचारियों ने परेड मैदान स्थित धरना स्थल से सीएम आवास कूच किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें हाथी बड़कला बैरियर पर आगे बढ़ने से रोक दिया।
इस पर कर्मचारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गये। कल उपनल कर्मियों ने सचिवालय कूच किया था जिस पर पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई और बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी घायल हो गये।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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