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मुख्य समाचार

2023-24 में 17% तक बढ़ा यूपीपीसीएल का रेवेन्यू कलेक्शन

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश विद्युत निगम लि. (यूपीपीसीएल) प्रदेश में बेहतर विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने के साथ-साथ रेवेन्यू कलेक्शन के क्षेत्र में भी लगातार वृद्धि कर रहा है। 2023-24 में उसका रेवेन्यू कलेक्शन 2022-23 की तुलना में 17 प्रतिशत से अधिक रहा है। 2022-23 में जहां यूपीपीसीएल का रेवेन्यू कलेक्शन 59,635 करोड़ रुपए रहा था तो वहीं, 2023-24 में यह 17.63 प्रतिशत बढ़कर 70,153 करोड़ रुपए पहुंच गया है। इसके अतिरिक्त 2023-24 में प्रदेश में विद्युत कनेक्शन की संख्या करीब 3.46 करोड़ और कुल लोड 73,835 मेगावाट पहुंच गया।

बिलिंग और कलेक्शन एफिशिएंसी में हुआ सुधार

हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष हुई बैठक में यूपीपीसीएल ने बताया कि 2023-24 में विभाग का रेवेन्यू कलेक्शन 17.63 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 70,153 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इस दौरान कलेक्शन एफिशिएंसी और बिलिंग एफिशिएंसी में भी काफी सुधार हुआ है। कलेक्शन एफिशिएंसी जहां 2022-23 में 93.42 प्रतिशत थी तो वहीं 2023-24 में यह 99.54 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं बिलिंग एफिशिएंसी 2022-23 के 83.35 प्रतिशत की तुलना में 2023-24 में सुधरकर 84.44 प्रतिशत पर पहुंच गई। बिलिंग एफिशिएंसी का मतलब विद्युत उपभोक्ताओं को सही और समय पर बिजली के बिल दिए जाने से है, जबकि कलेक्शन एफिशिएंसी का मतलब उपभोक्ताओं से बिजली बिल के सही समय पर वसूली से है।

3.46 करोड़ हुई उपभोक्ताओं की संख्या

2023-24 में प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की कुल संख्या 3.46 करोड़ के करीब पहुंच गई है। 2022-23 में यह संख्या करीब 2.37 करोड़ तो 2021-22 में 3.16 करोड़ से अधिक थी। मौजूदा उपभोक्ताओं में 60 प्रतिशत उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। वहीं,प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 87 प्रतिशत, कॉमर्शियल एवं इंडस्ट्रियल उपभोक्ता 7 प्रतिशत,कृषि उपभोक्ता 4 प्रतिशत है। रेवेन्यू कलेक्शन में घरेलू उपभोक्ताओं का हिस्सा 39 प्रतिशत है, जबकि इंडस्ट्रियल का 22 प्रतिशत, गवर्नमेंट का 13 प्रतिशत, नॉन डॉमेस्टिक का 12 प्रतिशत, बल्क सप्लाई, टेंपरेरी कनेक्शन का 9 प्रतिशत और कृषि का 5 प्रतिशत भागीदारी है। लोड की बात करें तो 2022-23 की तुलना में इसमें भी काफी वृद्धि हुई है। 2022-23 में जहां यह 70,137 मेगावाट था, वहीं 2023-24 में बढ़कर यह 73,835 मेगावाट पहुंच गया।

15 मार्च से 30 जून तक भीषण गर्मी में की गई 24 घंटे विद्युत आपूर्ति

यूपीपीसीएल के अध्यक्ष आशीष कुमार गोयल के अनुसार, इस वर्ष भीषण गर्मी को देखते हुए मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर 15 मार्च से 30 जून तक प्रदेश भर में पीक डिमांड के बावजूद 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराई गई है। इस दौरान जिला मुख्यालय स्तर पर, तहसील मुख्यालय, महानगर और ग्रामीण स्तर पर 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की गई है। उन्होंने बताया कि 2024-25 में पीक डिमांड 30,618 मेगावाट तक पहुंची, जो रिकॉर्ड है। इससे पूर्व 2023-24 में पीक डिमांड 29043 मेगावाट रही थी। 13 जुलाई 2024 तक एवरेज डिमांड में 16 प्रतिशत की वृद्धि रही। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ताओं को बिना बाधा के गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इसके लिए डीईईपी पोर्टल से एडवांस पावर प्रोक्योरमेंट द्वारा बेहतर प्लानिंग और मध्य प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तराखंड से पावर बैंकिंग व्यवस्था के साथ ही डीएएम, आरटीएम, एलडीसी और टीएमके के माध्यम से समयबद्ध पावर मैनेजमेंट सुनिश्चित किया जा रहा है। सिस्टम फाल्ट्स को समयबद्ध तरीके से निस्तारित किया जा रहा है, जबकि ओवरलोडेड सब स्टेशंस को सीमित किया गया है।

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उत्तर प्रदेश

दूसरे दिन के सर्वे के लिए ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंची, कृष्ण कूप का किया निरीक्षण

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संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम लगातार दूसरे दिन भी सर्वे करने पहुंची। ASI की टीम संभल के कल्कि विष्णु मंदिर पहुंच गई है। अब यहां पर ASI की टीम सर्वे का काम कर रही है। ASI की टीम के साथ प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद हैं। आज सर्वे का काम कृष्ण कूप में किया जाना है, जो कल्कि मंदिर के मेन गेट के पास है। बताया जा रहा है कि ये कृष्ण कूप संभल के जामा मस्जिद के पास से महज 500 मीटर की दूरी पर है। कृष्ण कूप चारों तरफ दीवारों से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ 5 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है। इसके साथ ही कूप के अंदर झाड़ियां और गंदगी फैली हुई है।

संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि आर्कियोलॉजी की टीम आई थी। यहां पर एक प्राचीन कृष्ण कूप है। जिसका काल निर्धारण होना है। वह कितना पुराना है। उसी का निरीक्षण किया है। टीम ने कल्की मंदिर के भी दर्शन किए हैं। यह टीम लगभग 15 मिनट यहां पर रुकी है।
कल्कि मंदिर के पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर एक टीम आई थी। उन्होंने एक कुआं देखा। वह कोने पर है। टीम परिसर में घूमी और मंदिर के अंदर की फोटो ली। मैंने उनसे कहा कि इस कार्य को मैं पुनर्जीवित करवाना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मंदिर है। एक हजार वर्ष का नक्शा, उसमें यह मंदिर दिखाया गया है। जो हरि मंदिर है उसके अन्दर यह मंदिर बना है।

ज्ञात हो कि जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए एएसआई निदेशक को पत्र भेजकर सर्वे कराने की मांग की थी। इसके बाद एएसआई की टीम ने संभल में प्राचीन धार्मिक स्थलों और कुओं का सर्वे शुरू किया। डीएम ने कहा था कि संभल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। 19 कूप और पांच तीर्थों का एएसआई की टीम ने सर्वे किया है। यह सर्वे करीब 9 घंटे तक चला है।

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