उत्तर प्रदेश
34 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों के वार्षिक रखरखाव पर 43 करोड़ रुपए खर्च करेगा यूपीसीडा
लखनऊ/कानपुर। अपने औद्योगिक क्षेत्रों के रखरखाव और बुनियादी ढांचे के प्रबंधन में सुधार के लिए उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने “अटल औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन” के तहत एक नई पहल की शुरुआत की है। यूपीसीडा ने राज्य भर के 34 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों के लिए वार्षिक रखरखाव अनुबंध प्रस्तावित किया है, जिसका अनुमानित वार्षिक खर्च 2024-2025 के लिए 43 करोड़ रुपए है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में यूपीसीडा, प्रदेश के 55 जिलों में 156 से अधिक औद्योगिक क्षेत्रों का प्रबंधन और देखरेख कर रहा है। हाल के वर्षों में, 34 औद्योगिक क्षेत्रों की जिम्मेदारी शहरी स्थानीय निकायों को सौंपी गई थी, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते इन क्षेत्रों का रखरखाव पूरी तरह से नहीं हो सका। इस चुनौती से निपटने के लिए प्राधिकरण ने यह कदम उठाया है।
43 अनुबंध को दिया अंतिम रूप
यूपीसीडा के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने बताया की प्राधिकरण ने सिविल कार्यों के लिए 43 अनुबंध को अंतिम रूप दिया है, जिनसे यूपीसीडा 24×7 कार्य करते हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित करेगा। रखरखाव गतिविधियों में उन्नत साइनेज और सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, बेंच की स्थापना, प्रदूषण निगरानी और पब्लिक अड्रेस सिस्टम, ट्रैफिक लाइट, हरियाली रखरखाव और कचरा प्रबंधन शामिल है। इसके साथ ही 31,753 स्ट्रीट लाइट्स और 565 हाई मास्ट का रखरखाव भी किया जाएगा।
तकनीकी विकास पर जोर
यूपीसीडा ने जीआईएस आधारित ऑनलाइन निगरानी और बिलिंग प्रणाली विकसित करने के लिए एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के साथ साझेदारी की है। यूपीसीडा वन मैप पोर्टल के साथ एकीकृत यह प्रणाली अनुरक्षण कार्यों की रीयल टाइम ट्रैकिंग करने में सक्षम होगी, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। इसके साथ ही, यूपीसीडा ने आवंटियों की शिकायतों का तत्काल निस्तारण किए जाने के लिए यूपीसीडा मुख्यालय, कानपूर में एक नागरिक सुविधा केंद्र की स्थापना की गई है।
औद्योगिक क्षेत्रों में लगाए क्यूआर कोड
नवीन तकनीक का प्रयोग करते हुए यूपीसीडा ने सिविल और इलेक्ट्रिकल कार्यों के अनुरक्षण अनुबंधों से संबंधित शिकायतों और फीडबैक पर नज़र रखने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में क्यूआर कोड लगाए हैं। ये क्यूआर कोड शिकायतों को दर्ज करने के लिए आवंटियों को सीधी पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे त्वरित समाधान और बेहतर संतुष्टि सुनिश्चित होती हैं। क्यूआर कोड के माध्यम से दर्ज की गई शिकायतों को मुख्यालय स्तर पर ट्रैक किया जाता है, जिससे कुशल प्रबंधन और शिकायतों के सक्रिय समाधान की सुविधा मिलती है।
2024-25 में यूपीसीडा की प्राथमिकता :
वित्त वर्ष 2024-25 में, यूपीसीडा 39.94 करोड़ रुपए के 45 व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध 58 औद्योगिक क्षेत्रों में लागू कर रहा है। इनमें नाली सफाई, जैसे आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता दी गई है। इन औद्योगिक क्षेत्रों में सामूहिक रूप से लगभग 920 किमी जल निकासी नेटवर्क और लगभग 450 किमी सड़कें हैं। इसके अतिरिक्त, छह प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जल निकासी बुनियादी ढांचे का उन्नयन चल रहा है, जिसमें लगभग 437 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए हैं। “अटल औद्योगिक अवसंरचना योजना” के चरण 3 में जल निकासी उन्नयन और बाढ़ प्रबंधन के लिए 303 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो यूपीसीडा की दीर्घकालिक स्थायित्व की दिशा में एक बड़ी पहल है।
6 औद्योगिक क्षेत्रों में चल रहा जल निकासी बुनियादी ढांचे का उन्नयन
नैनीः 9.7 करोड़ रुपए की लागत से 12.65 किमी जल निकासी उन्नयन।
अमौसी: 6.26 करोड़ रुपए की लागत से 2.8 किमी जल निकासी उन्नयन।
मेरठ: 8.44 करोड़ रुपए की लागत से 8.46 किमी जल निकासी उन्नयन।
रूमाः 11.47 करोड़ रुपए की लागत से 18.25 किमी जल निकासी उन्नयन।
कवि नगर (गाज़ियाबाद): 0.62 करोड़ की लागत से 0.46 किमी जल निकासी उन्नयन।
रामनगर 1 और 2 (चंदौली): 12.11 करोड़ की लागत से 17.7 किमी जल निकासी उन्नयन।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में प्रदर्शनकारी छात्रों को कामयाबी, एक दिन-एक शिफ्ट में होगी PCS की परीक्षा
प्रयागराज। प्रयागराज में प्रदर्शनकारी छात्रों की बड़ी जीत हुई है। UPPSC ने उनकी मांगें स्वीकार कर ली हैं। RO/ARO की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। इसके साथ ही अब PCS की परीक्षा एक ही शिफ्ट में होगी। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रारंभिक परीक्षाओं के दो दिन दो शिफ्ट में कराने का निर्णय लिया था, जिसके विरोध में हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों ने आयोग के नोटिस जारी होने के साथ ही फैसले के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने प्रदर्शन किया।
अधिकारियों ने प्रदर्शनकरी छात्रों से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे। जिसके बाद पूरे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप करते हुए आयोग को छात्रों के साथ संवाद और समन्वय बनाकर आवश्यक आयोग से छात्रों के हितों में फैसले के लिए कहा। सीएम योगी की पहल के बाद आयोग ने अपना फैसला वापस ले लिया और छात्रों की एक दिन एक शिफ्ट में पेपर की मांग को मान स्वीकार कर लिया।
वहीँ आरओ/एआरओ (प्री.) परीक्षा-2023 के लिए आयोग द्वारा एक समिति गठित की गई है। समिति सभी पहलुओं पर विचार कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत करेगी। आसान भाषा में कहें तो आयोग ने सीएम योगी के निर्देश पर फैसला लिया है कि यूपीपीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा पुराने पैटर्न से होंगी यानी एक ही दिन में यह परीक्षा आयोजित होगी। जबकि RO/ARO परीक्षा पर फैसले के लिए कमेटी बनाने की घोषणा की गई है।
कब होंगे पेपर?
जानकारी के लिए बता दें कि पीसीएस की परीक्षा के लिए दो चरण होते हैं, पहला प्रीलिम्स और दूसरा मेंस। पहले ये पेपर चार शिफ्ट में 7 और 8 दिसंबर को होने थे पर अब नए आदेश में यह परीक्षा एक ही दिन में दो शिफ्ट में आयोजित होगी। वहीं, RO/ARO परीक्षा में एक ही पेपर होता है, जो पहले 22 और 23 दिसंबर को तीन पालियों में होनी थी, जिस पर अब कमेटी बना दी गई है जो जल्द ही अपना रिपोर्ट देगी।
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