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अन्तर्राष्ट्रीय

आतंकवाद के बावजूद पाकिस्तान को जारी रहेगी अमेरिकी सहायता

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अरुण कुमार

वाशिंगटन| आतंकवादी संगठनों को प्रश्रय देने के कथित आरोपों के कारण अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष ने चेतावनी दी है कि वह पाकिस्तान को प्रस्तावित एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री के प्रस्ताव पर रोक लगाएंगे। इसके बावजूद, अमेरिका ने कहा कि वह अपने प्रमुख सहयोगी (पाकिस्तान) को सुरक्षा सहायता जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

अमेरिकी गृह विभाग के प्रवक्ता मार्क सी. टोनर ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करने से मना कर दिया कि सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष बॉब कोरकर की ओर से पाकिस्तान को प्रस्तावित एफ-16 लड़ाकू विमान की रियायती बिक्री के संबंध में विदेश मंत्री जॉन कैरी को पत्र मिला है।

उन्होंने कहा, “यह हमारी नीति है कि अमेरिकी कांग्रेस की औपचारिक अधिसूचना जारी होने से पहले हम लोग हथियार की प्रस्तावित बिक्री या हस्तान्तरण या यहां तक कि इस बारे में कैपिटल हिल से प्राथमिक विमर्श पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं।”

उन्होंने कहा, “अपने सहयोगियों को सुरक्षा सहायता जारी रखने के लिए हम लोग अमेरिकी कांग्रेस के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध हैं। हमारा मानना है कि साझी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोगियों की क्षमता बढ़ाना अमेरिकी विदेश नीति के हित में है।”

अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने वाले आतंकी संगठन हक्कानी ग्रुप से इस्लामाबाद के संबंधों के मद्देनजर कोरकर ने गत 9 फरवरी को विदेश मंत्री कैरी को लिखकर पाकिस्तान को प्रस्तावित एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री पर रोक लगाने की अपनी मंशा से ओबामा प्रशासन को अवगत कराया था।

पत्र में उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर वर्षो से दबाव बनाने के बावजूद हक्कानी आतंकी पाकिस्तान में आजाद घूम रहे हैं और इसकी भी संभावना है कि पाकिस्तान सरकार उनका समर्थन करती हो। यह सबसे बड़ी समस्या है, खासकर यह देखते हुए कि हक्कानी ग्रुप अफगानी सेना के जवानों और पुलिसकर्मियों की हत्या में स्पष्ट तौर पर संलिप्त है।”

कोरकर के आरोपों के बारे में जब टोनर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि अमेरिकी सुरक्षा सहायता मिलने से पाकिस्तान को आतंकवाद और विद्रोहियों से निपटने और उनके खिलाफ अभियान चलाने में मदद मिलेगी।”

उन्होंने कहा,”इन अभियानों से आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तानी जमीन के उपयोग में कमी आएगी और वे अफगानिस्तान में विद्रोह के लिए भी पाकिस्तान को अड्डे के रूप में इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमारा मानना है कि इस तरह के अभियान पाकिस्तान, अमेरिका और क्षेत्र विशेष के हित में है।”

जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तानी सेना को मिली अमेरिकी सुरक्षा सहायता के चलते अफगानिस्तान में कितने अमेरिकी सैनिक मारे गए तो उन्होंने कहा,”मेरे पास आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।”

लेकिन, उन्होंने दावा किया, “उस क्षेत्र में पाकिस्तान जितना आतंकवाद का दंश झेल रहा है उतना कोई भी देश नहीं झेल रहा है। हमारा मानना है कि पाकिस्तान का समर्थन करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में होने के साथ-साथ पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए भी जरूरी है।”

प्रवक्ता ने कहा,”अफगानिस्तान में स्थिरता लाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए पाकिस्तान उस क्षेत्र में हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है। उदाहरण के तौर पर अफगानियों के नेतृत्व में समझौता वार्ता के लिए पाकिस्तान अगर प्रयास करता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।”

उन्होंने कहा,”पाकिस्तान ने कुछ आतंकवादी संगठनों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं। इन आतंकी नेटवर्को को ध्वस्त करना और उन्हें अलग-थलग करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और उस क्षेत्र के हित में है।”

इस बीच, वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने गुरुवार को कोरकर के आरोपों का खंडन करते हुए इसे बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण बताया। पाकिस्तान दूतावास के प्रवक्ता नदीम होतियाना ने ‘फॉरेन पॉलिसी’ पत्रिका से कहा, “अफगानिस्तान में अस्थिरता उत्पन्न करने वाले हक्कानी नेटवर्क की मदद के बारे परोक्ष रूप से (पाकिस्तान की तरफ) इशारे करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

हाल में अफगानिस्तान की यात्रा से लौटे कोरकर ने कहा कि वह एफ-16 की बिक्री के लिए जरूरी धन को जारी नहीं होने देंगे।

लेकिन, पाकिस्तान को लड़ाकू विमानों की बिक्री पर लगी रोक हटाने की उन्होंने सशर्त वकालत जरूर की। पत्र में उन्होंने कहा,”अगर वे (पाकिस्तान) सैन्य उपकरण चाहते हैं तो अमेरिकी करदाताओं के अनुदान के बिना खरीद सकते हैं। “

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी से की मुलाकात

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ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।

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