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घुट रही सांस और फूल रहा दम, चौंका देगी यह सरकारी रिपोर्ट

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नई दिल्ली। यूपी में लोगों का दम तेजी से फूल रहा है और सांसें घुटती जा रही हैं। इस बात की पुष्टि एक सरकारी रिपोर्ट में हुई है। देश के उत्तरी हिस्से के राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में अस्थमा के मामले सबसे ज्यादा हैं और इस बीमारी के कारण मृत्यु दर भी काफी बढ़ रही है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन के अनुसार, अस्थमा के 57 लाख से अधिक मामलों के साथ और प्रति 1,00,000 लोगों पर 22 की मृत्यु दर के साथ उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे ऊपर है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी 24 लाख और 21 लाख लोग बीमारी से पीडि़त हैं।

राजस्थान में मृत्यु दर प्रति एक लाख लोगों पर 22 है, जो उप्र की तुलना में कहीं अधिक है। जबकि मध्य प्रदेश में मृत्यु दर 14 है, जो पड़ोसी उत्तर प्रदेश और राजस्थान की तुलना में कम है। पंजाब में बीमारी के कारण मृत्यु दर प्रति एक लाख पर आठ है।

अध्ययन के मुताबिक, 2016 में भारत में बीमारी के प्रमुख व्यक्तिगत कारणों में से तीन कारण गैर-संक्रमणीय थे। आइसेमिक हृदय रोग और पुरानी ओब्सट्रक्टिव पल्मोनरी बीमारी (सीओपीडी) शीर्ष दो कारण हैं। आधुनिक उपकरणों ने मरीजों के लिए एक सामान्य-सक्रिय जीवन को आसान बना दिया है और अस्थमा प्रबंधन की स्वास्थ्य आदतों ने इस बीमारी का डर निकाला है। सामाजिक छुआछूत दूर करने के लिए इनहेलेशन उपचार (गैर-पीडि़तों सहित) के बारे में जागरूकता बढ़ी है।

विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर एम्स में पल्मोनरी मेडिसिन एंड स्लीप डिसऑर्डर विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. करण मदन ने कहा, “आज इनहेलेशन थेरेपी अस्थमा के इलाज का मुख्य आधार है। इन्हेलेशन वाली दवाएं अस्थमा जैसे सांस के रोगों के प्रबंधन के अभिन्न अंग हैं। वे सीधे फेफड़ों को दवाएं देते हैं और इसलिए तेजी से और कम खुराक पर कार्य करते हैं, जिससे दुष्प्रभावों का जोखिम कम हो जाता है।”

बीमारी के इलाज की चुनौतियों पर मैक्स अस्पताल के पेडियाट्रिक्स विभाग के अध्यक्ष, डॉ. श्याम कुकरेजा ने कहा, “अस्थमा के इलाज में प्रमुख चुनौतियों में अनुपालन में सुधार और प्रभावी और उपयोग में आसान इनहेलर्स विकसित करना शामिल है। कई रोगी अक्सर अपनी दवाओं को कम इस्तेमाल करते हैं या वे अपने इनहेलर्स का गलत इस्तेमाल करते हैं, जो रोग पर नियंत्रण नहीं कर पाता है। इससे उन्हें ओरल थेरेपी की तरफ जाना पड़ सकता है, जो विनाशकारी हो सकता है।”

बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में रेस्पिरेटरी मेडिसिन, एलर्जी एंड स्लीप डिसऑर्डर विभाग के अध्यक्ष, डॉ. संदीप नायर का कहना है, “इनहेलेशन थेरेपी न सिर्फ हांफने की समस्या से पीड़ित को ठीक करता है, बल्कि अस्थमा के हमले को भी रोकता है। मरीजों की उम्र और लक्षणों के आधार पर इंहेलेशन थैरेपी को कई प्रकार से लिया जा सकता है, जेसे कि मीटर्ड डोज इंहेलर, ड्राई पाउडर इंहेलर या नेबुलाइजेशन।”

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गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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