उत्तराखंड
दावेदार मैदान में लेकिन टिकट का पता नहीं
देहरादून। राजधानी देहरादून क्षेत्र की विधानसभाओं में कांग्रेस पार्टी के दावेदार क्षेत्र में घूम घूम कर जन समस्याएं खोज रहे हैं। समस्या का पता लगते ही उसका समाधान करने की भी इनमें होड़ है कि कौन पहले जन समस्या को सुलझा कर अपनी साख बना पाता है। चुनाव निकट होने के चलते ही यह सब हो रहा है।
राजधानी में रायपुर, डोईवाला, कैंट और मसूरी विधानसभा में सर्वाधिक दावेदार हैं जो अपना दावा मजबूत करने के लिए जनसमस्याओं से इतर गोष्ठी और घेराव आदि कार्यक्रमों के जरिये जनसंपर्क बढ़ा रहे हैं। टिकट फाइनल हुए बगैर ही दावेदार अपने आप को अघोषित प्रत्याशी माने हुए मैदान में उतर आए हैं।
राजधानी में कांग्रेस से टिकट के दावेदार अब तक टिकट के लिए तीन से चार विधान सभा क्षेत्र गिना रहे थे। इनका कहना था कि पार्टी मसूरी नहीं तो रायपुर और यदि रायपुर से भी टिकट नहीं देती है तो कैंट से टिकट दे। पार्टी जहां कहीं से भी उन्हें टिकट देगी वह चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं, लेकिन अब स्थिति इसके ठीक उलट है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डा.आरपी रतूड़ी कहते हैं कि इस बार रायपुर से उनकी दावेदारी है, क्षेत्र का कोई ऐसा घर नहीं है जहां वे न गए हों। वहीं कांग्रेस महानगर अध्यक्ष पृथ्वीराज चौहान बातचीत कार्यक्रमों के जरिये इन दिनों क्षेत्रों में जनसमस्याओं को सुनने में लगे हैं। इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य हेमा पुरोहित, प्रधान संगठन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूरत सिंह नेगी की क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई है।
डोईवाला विधान सभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री के नजदीकी माने जाने वाले एसपी सिंह भी अब क्षेत्र में नजर आने लगे हैं। हालांकि इस सीट से हीरा सिंह बिष्ट का टिकट काटना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। मसूरी से कांग्रेस प्रदेश महासचिव गोदावरी थापली, नगर पालिका अध्यक्ष मसूरी मनमोहन सिंह मल्ल एवं पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला प्रमुख दावेदार हैं।
वही कैंट में अभी से बाहरी प्रत्याशियों का विरोध शुरू हो गया है। इस सीट से कुछ दावेदारों का कहना है कि पैराशूट प्रत्याशी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस सीट से कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, कांग्रेस प्रदेश महासचिव नवीन जोशी, पूर्व महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा, सीएम के संस्कृति सलाहकार रामकुमार वालिया व प्रदेश सचिव दीप बोहरा इस सीट से मैदान में हैं।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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