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उत्तराखंड

निजी स्कूल सावधान, मनमानी फीस वसूलने पर देना होगा एक लाख जुर्माना

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निजी स्कूलों की मनमानी फीस, एक लाख जुर्माना, उत्तराखंड सरकार निजी स्कूलों के लिए एक्ट

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निजी स्कूलों की मनमानी फीस, एक लाख जुर्माना, उत्तराखंड सरकार निजी स्कूलों के लिए एक्ट

uttarakhand government

देहरादून। राजधानी में निजी स्कूलों की शुल्क बढ़ोतरी सहित सभी मनमानियों पर रोक की शुरुआत हो गई है। उत्तराखंड सरकार निजी स्कूलों के लिए एक्ट तैयार कर रही है।

दिल्ली सहित चार राज्यों के एक्ट स्टडी करने के बाद यह ‘उत्तराखंड अशासकीय मान्यता प्राप्त शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश व शुल्क नियंत्रण एवं शिकायत निवारण अधिनियम 2016’ बनाया जा रहा है।

इस पर हाल ही में अभिभावकों और स्कूल प्रतिनिधियों के साथ चर्चा हुई है। एक्ट के तहत नियामक आयोग का गठन किया जाएगा, जिसका अध्यक्ष मुख्य सचिव स्तर का कोई रिटायर्ड अधिकारी होगा।

इस एक्ट के खास बिंदु निम्न प्रकार से होंगे:- 1. निजी स्कूल छात्रों से नियामक आयोग की ओर से तय दर से अधिक प्रवेश शुल्क, शिक्षण शुल्क या किसी अन्य प्रकार का शुल्क नहीं ले सकेगा।

2. आयोग जो शुल्क ढांचा तय करेगा, उससे अलग किसी भी प्रकार का शुल्क लागू नहीं किया जा सकेगा।

3. निजी स्कूल को एक्ट की धारा 5 के तहत सभी तरह के शुल्कों का प्रमाण सहित विवरण आयोग के सामने प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

4. दान या पट्टे की जमीनों पर चल रहे निजी स्कूलोें का शुल्क निर्धारण करते वक्त उसका संज्ञान लिया जाएगा।

5. किसी भी संस्था में शुल्क का निर्धारण संस्था की लोकेशन, उपलब्ध भौतिक संसाधन, भवन, कक्षा, भूमि, पांच वर्षों का शैक्षिक स्तर, शिक्ष के लिए शिक्षण सामग्री, लैब, पुस्तकालय, स्कूल के संचालन पर हर साल का व्यय, कार्यरत शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता व देय वेतन, भौतिक संसाधनों की मरम्मत व विकास को वार्षिक धनराशि, टीवी, कंप्यूटर, एलईडी ऑनलाइन शैक्षिक उपकरण, बीते तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट, छात्रों की समस्या निवारण को लिंग भेद, जाति भेद रोकने, शोषण रोकने, स्थानी जनसमुदाय, अपवंचित वर्ग के लिए आरटीई के प्रवेश, बच्चों की खेल सामग्री, खेल का मैदान, स्कूल की समुदाय में ख्याति, बच्चों की सुरक्षा, चाइल्ड फ्रेंडली, डिजाइन, अग्निशमन आदि के लिए किए जा रहे कार्यों के आधार पर किया जाएगा।

6. प्रदेश में चल रहे इंटरनेशनल बोर्ड या अन्य बोर्ड से मान्यता प्राप्त पूर्ण आवासीय स्कूल इस अधिनियम के तहत नहीं आएंगे लेकिन उनकी शिकायत नियामक आयोग में सुनी जा सकेगी।

7. जिला स्तर पर शिकायतों के लिए डीएम की अध्यक्षता में समिति बनेगी। इस समिति का अभिभावक की शिकायत पर 30 दिन के भीतर फैसला लेना होगा। इसके बाद मामला नियामक आयोग के पास चला जाएगा।

8. एक्ट की धारा 26 की उपधारा 1, 2, 3 व 4 के तहत या वसूली संबंधी अन्य शिकायत की पुष्टि होने पर निजी स्कूल को घोषित शुल्क से अधिक शुल्क का तीन गुना या एक लाख रुपये(ग्रामीण क्षेत्र के लिए 50 हजार रुपये) जो भी अधिक हो, अर्थदंड किया जाएगा।

घोषित शुल्क से अधिक की पूरी राशि अभिभावकों को लौटानी होगी। एक्ट की धारा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 या अन्य बिंदुओं पर शिकायत की पुष्टि होने पर स्कूल पर 50 हजार रुपये(ग्रामीण क्षेत्र में 25 हजार रुपये) अर्थदंड लगेगा। अर्थदंड की वसूली या कारावास की सजा या दोनों दंड स्कूल की किसी अधिकारी, कर्मचारी या संस्था के प्रबंध समिति के सदस्यों पर एक या सामूहिक तौर पर लागू किया जाएगा।

 

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उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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