उत्तराखंड
रावत की शिकायत लेकर राजभवन पहुंची भाजपा
देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट से लिखित आदेश आए बगैर हरीश रावत के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने व कई नीतिगत फैसले लेने के खिलाफ भाजपा ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की। भाजपा ने रावत के इस आचरण को संवैधानिक व्यवस्थाओं का घोर उल्लंघन बताया तथा सरकारी संसाधनों का गैर कानूनी उपयोग और मुख्यमंत्री व मंत्रियों के पदों से संबंधित गोपनीयता भंग करने वाला आपराधिक कृत्य बताते हुए राज्यपाल से इस मामले में हरीश रावत व उनके मंत्रियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाई की मांग की। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के नेतृत्व में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल डाॅ. के.के. पाल से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन पर बीती 21 अपै्रल के नैनीताल हाईकोर्ट के निर्णय की प्रति अब तक निर्गत नहीं हुई है लेकिन हरीश रावत ने अवैधानिक ढंग से न सिर्फ मुख्यमंत्री का पदभार संभाला, बल्कि दो बार कैबिनेट की बैठक बुलाकर कई नीतिगत फैसले भी ले लिए। उनका यह आचरण विधि और संवैधानिक व्यवस्थाओं का घोर उल्लंघन है। अजय भट्ट ने कहा कि राष्ट्रपति शासन समाप्त करने के संविधान के अनुच्छेद 356(2) के तहत उदघोषणा नहीं हुई, यह अनुच्छेद का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने स्वयंभू मुख्यमंत्री के रूप में तथाकथित कैबिनेट की बैठकें बुलाकर शासन के अधिकारियों को भी उपस्थित रहने के लिए मजबूर किया। इतना ही नहीं उन्होंने शासकीय वाहनों का उपयोग, सरकारी फाइलें मंगवाने व अन्य सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का लाभ उठाकर पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व मंत्रियों ने सरकारी संसाधनों का गैर कानूनी उपयोग भी किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने राज्यपाल से इस पूरे प्रकरण में पूर्व मुख्यमंत्री के विरुद्ध कानूनी कार्यवाई करने की भी मांग की। भाजपा ने राज्यपाल से बीते छह अपै्रल को दिए ज्ञापन में उठाई गई भूमिहीनों को पट्टे आवंटित करने, मलिन बस्तियों के नियमितिकरण जैसी मांगों पर भी कार्यवाही की मांग की।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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