उत्तराखंड
हमने जनहित में रावत सरकार गिराई: बहुगुणा
देहरादून। कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की अगुवाई करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने स्पष्ट किया कि राज्य की मौजूदा स्थिति में उन्होंने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी से अपने रिश्तों को बहुत पीछे छोड़ आये हैं। अपने आवास पर संवाददाताओं से वार्ता के दौरान पूर्व सीएम बहुगुणा ने कहा कि हमने एक सरकार गिराई है, और जानबूझकर गिराई है। यह एक राजनैतिक कदम है और इसके क्या नतीजे होंगे, हम जानते हैं।
उत्तराखण्ड का संकट
ज्ञात हो कि बहुगुणा आठ अन्य बागी विधायकों के साथ गुरुवार को दिल्ली से देहरादून लौटे। यह बात जगजाहिर है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ बहुगुणा की राजनैतिक अदावत किसी से छिपी नहीं है। फरवरी 2013 में हरीश रावत ने बहुगुणा का स्थान ग्रहण किया था। अब बहुगुणा ने दावा किया है कि उन्होंने उत्तराखंड राज्य की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए रावत को सत्ता से बाहर करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने कहा, यह सम्भवतः पहला उदाहरण है जिसमें सदन में विनियोग विधेयक पास न होने पर भी एक मुख्यमंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया।
बहुगुणा ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि रावत से निजी तौर पर उनकी कोई दुश्मनी नहीं है। बहुगुणा ने कहा कि रावत सरकार के कार्यकाल के दौरान जितने भी भ्रष्टाचार हुए हैं उनकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए जो कदम उठाये, इसके लिए मैं उनकी प्रशंसा करता हूं। बहुगुणा ने कांग्रेस के बागियों को विधान सभा अध्यक्ष कुंजवाल द्वारा अयोग्य करार दिये जाने के निर्णय को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा, वह समय से होड़ कर रहे थे। बहुगुणा ने यह साफ नहीं किया कि विधानसभा चुनाव से पहले वह कोई नया दल बनायेंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श करेंगे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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