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उत्तराखंड

डेंगू से बचाव के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने दिए स्वास्थ्य विभाग और जिलाधिकारियों को खास निर्देश

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में डेंगू रोग पर नियंत्रण और प्रभावी रोकथाम के लिए कारगर और समेकित प्रयासों की जरूरत बताई है।

उन्होंने इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सभी जिलाधिकारियों को सर्तकता और समन्वय से कार्य करने को कहा है। उन्होंने इस रोग के प्रति जन जागरूकता के प्रसार तथा स्वच्छता एवं सफाई पर विशेष ध्यान देने के भी निर्देश दिए हैं।

स्वास्थ्य विभाग सहित सभी डीएम रखें सर्तकता

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को सचिवालय में डेंगू रोग की रोकथाम के सम्बन्ध में किए जा रहे प्रयासों की शासन के उच्चाधिकारियों, सभी जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की। उन्होंने डेंगू के प्रति सजग रहने तथा इसके लिए नियमित रूप से फॉगिंग एवं इसके लार्वा की जांच करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि डेंगू के प्रति लोगों में व्याप्त खौफ के वातावरण को समाप्त करने की जरूरत है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, आशा, आंगनबाड़ी, ए.एन.एम, सिविल सोसाइटी के साथ नियमित रूप से जन जागरूकता अभियान संचालित किया जाए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी जिलाधिकारियों से अपने कार्यालयों में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग सख्ती के साथ बंद करने को कहा है। उन्होंने इसके उपयोग से होने वाले नुकसान के सम्बन्ध में भी जन जागरूकता के प्रसार पर ध्यान देने को कहा है।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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