उत्तराखंड
उत्तराखंडः मुख्य सचिव ने की ऑल वेदर रोड योजना पर संबंधित जिलाधिकारियों से समीक्षा
देहरादून। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सचिवालय सभागार से आज गुरूवार को ऑल वेदर रोड योजना की प्रगति पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जिलाधिकारियों के साथ विस्तार से समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने ऑल वेदर रोड योजना के भूमि अध्याप्ति, पर्यावरण एवं नये डम्पिंग जोन विषयक कई लम्बित प्रकरणों पर सम्बन्धित जिलाधिकारियों एवं वन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की।
उन्होंने परियोजना की कार्यदायी संस्थाओं सीमा सडक संगठन एन.एच.आई.डी.सी.एल के अधिकारियों एवं कार्यरत कंपनियों के प्रतिनिधियों की समस्याओं को सुना तथा उनके स्टोन क्रेशर एवं चिन्हित नये डम्पिंग जोन के प्रकरणों पर संबंधित जिलाधिकारियों को तत्काल प्राथमिकता से हल निकालने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि ऑल वेदर रोड में कार्यरत कार्यदायी संस्थायें माननीय उच्चतम न्यायालय की ओर से पर्यावरण नुकसान कम करने के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए युद्ध स्तर पर कार्य करें।
आज हुई समीक्षा बैठक में तीन जनपद यथा उत्तरकाशी, चमोली एवं रूद्रप्रयाग से कनेक्टिविटी न होने के कारण संबंधित जिलाधिकारियों से वार्ता नहीं हो पाई। मुख्य सचिव ने इन जिलाधिकारियों के साथ शीघ्र अलग बैठक कराने के निर्देश लोक निर्माण विभाग को दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि ऑल वेदर रोड परियोजना देश की राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व की परियोजना है, जिसको देखते हुए यदि कोई समस्या का समाधान जिला स्तर पर नहीं हो पा रहा हो तो उसका ठोस प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट में लाया जाए।
मुख्य सचिव ने भारत सरकार के निर्देश के क्रम में उत्तरकाशी में इको सेन्सटिव जोन क्षेत्र के अंतर्गत इंटरमीडियेट लेन सडक की डीपीआर कन्सलटेंट से तैयार कर सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार को प्रेषित करने के निर्देश दिए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, क्षेत्रीय अधिकारी सडक परिवहन मंत्रालय भारत सरकार वीरेन्द्र सिंह खैड़ा, अपर सचिव ऊर्जा आलोक शेखर तिवारी, अनु सचिव लोनिवि डीके पुनेठा सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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