Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

उत्तराखंड पुलिस में सीधी भर्ती के दारोगाओं को राहत

Published

on

उत्तराखंड पुलिस, सीधी भर्ती के दारोगाओं को राहत, रैंकर्स को दिये जा रहा है प्रमोशन, सीधी भर्ती वाले दारोगाओं की हो रही थी उपेक्षा, मुख्य सचिव ने डीजीपी के आदेश को किया रद्द

Loading

उत्तराखंड पुलिस, सीधी भर्ती के दारोगाओं को राहत, रैंकर्स को दिये जा रहा है प्रमोशन, सीधी भर्ती वाले दारोगाओं की हो रही थी उपेक्षा, मुख्य सचिव ने डीजीपी के आदेश को किया रद्द

देहरादून। रैंकर्स परीक्षा से पदोन्नत दारोगाओं की तुलना में पुलिस प्रशासन सीधी भर्ती वाले दारोगाओं को प्रमोशन देने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में डीजीपी बीएस सिद्धू ने रैंकर्स वाले दारोगाओं को वरीयता देने के आदेश भी जारी कर दिये लेकिन अब यह मामला मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के पास पहुंचा तो उन्होंने सीधी भर्ती वाले दारोगाओं को बड़ी राहत दे दी है। मुख्य सचिव ने डीजीपी के आदेश को रद्द कर दिया है।

रैंकर्स को दिये जा रहा है प्रमोशन

पुलिस ने वर्ष 2002 बैच के सीधी भर्ती के दारोगा उस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि रैंकर्स वाले दारोगाओं को प्रमोशन में वरीयता दी जाएगी। पिछले 12 साल से अधिक साल से प्रमोशन का इंतजार रहे दारोगाओं के लिए यह एक बड़ा झटका था। सीधी भर्ती के दारोगाओं ने इस मामले में कोर्ट की शरण लेने का फैसला तो कर लिया था लेकिन अधिकांश अनुशासनात्मक कार्रवाई से डर रहे थे। इस बीच कुछ दारागाओं ने इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव से की तो इस संबंध में मुख्य सचिव से आदेश जारी हो गये।

सीधी भर्ती वाले दारोगाओं की हो रही थी उपेक्षा

गौरतलब है कि वर्ष 1999 में यूपी सरकार ने रैंकर्स परीक्षा का आयोजन किया था। इस परीक्षा के खिलाफ कुछ लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गये थे तो यह परीक्षा टाल दी गई थी। इसके बाद इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला 2006 में आया। इसमें उत्तराखंड से भी रैंकर्स परीक्षा के माध्यम से 44 दारोगा बने। इसके बाद से सीधी भर्ती और रैंकर्स परीक्षा से चयनित दारागाओं के बीच वरीष्ठता को लेकर विवाद चल रहा हैै।

मुख्य सचिव ने डीजीपी के आदेश को किया रद्द

अब पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर पद के लिए प्रमोशन होने हैंै। बताया जाता है कि पुलिस ने रैंकर्स दारोगाओं को वर्ष 2001 का आधार मान कर उन्हें वरीयता दे दी। इस तरह से 2002 में सीधी भर्ती से दारोगा बने कर्मियों को नुकसान हो रहा है। उनका तर्क है कि वरीयता क्रम में उन्हें आगे रखा जाए। तर्क के आधार पर उनकी बात मुख्य सचिव ने मान ली और उन्हें राहत देते हुए डीजीपी को निर्देश दिये हैं कि उक्त आदेश को रद्द कर दिया जाए और डीजीपी से तथ्य व अन्य दस्तावेज तलब कर लिये हैं। इस संबंध में प्रमुख सचिव( गृह) उमाकांत ने डीजीपी को पत्र लिखा है।

 

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

Published

on

Loading

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

Continue Reading

Trending