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वाराणसी फ्लाईओवर हादसे में 18 की मौत, चार अफसर निलंबित

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार शाम को कैंट रेलवे स्टेशन के समीप निर्माणाधीन फ्लाईओवर हादसे में मृतकों की संख्या 18 हो गई है। इस हादसे में तीन लोगों को जिंदा बचा लिया गया जबकि 30 अन्य घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी देर रात वाराणसी पहुंचकर हादसे की जानकारी ली और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किया। योगी से पहले उनके निर्देश पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने नौ बजे शहर पहुंच कर दुर्घटनास्थल का जायजा लिया। उप मुख्यमंत्री मौर्य ने उप्र सेतु निगम के चार अभियंताओं को निलंबित कर दिया है। इनमें चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एच सी तिवारी, प्राजेक्ट मैनेजर के आर सूदन, सहायक अभियंता राजेश सिंह और अवर अभियंता लालचंद शामिल हैं।

हादसे की जांच के लिए तकनीकी टीम का गठन किया गया है। हालांकि हादसे के बाद बनारस पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्किट हाउस में कहा कि घटना में 15 लोगों की मौत हुई है और 11 घायल हैं। लेकिन देर रात मृतकों की संख्या 18 तक पहुंच गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस हादसे की हकीकत जानने के लिए तीन सदस्यीय तकनीकी टीम का गठन किया गया है। टीम की रिपोर्ट के बाद हादसे के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। यह घटना बहुत दुखद है।

उन्होंने बताया कि हादसे के बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुझसे जानकारी ली और इसके बाद मैंने उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य को यहां भेज दिया था। हमारी प्राथमिकता घायलों को बेहतर इलाज देने की है।

मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए, गंभीर रूप से घायलों को दो-दो लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद की जा रही है।

गौरतलब है कि निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के दो बीम मंगलवार शाम सड़क पर गिर पड़े। बीम के नीचे महानगर सेवा की एक बस सहित दर्जन भर वाहन दब गए। बीम के नीचे दबे वाहनों को गैस कटर से काट कर सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने 18 शव और 30 से अधिक घायलों को बाहर निकाला है।

वाराणसी फ्लाईओवर हादसा

वाराणसी फ्लाईओवर हादसा

घायलों में से 14 की हालत गंभीर बताई गई है। हादसे के लगभग आधा घंटे बाद पुलिस पहुंची और तकरीबन डेढ़ घंटे बाद राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ। रात 10 बजे राहत कार्य का पहला चरण समाप्त हो गया। इस दौरान देरी से राहत और बचाव कार्य शुरू होने के कारण भीड़ में मौजूद लोगों ने पुलिस-प्रशासन के विरोध में कई बार नारेबाजी की।

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो लगभग साढ़े पांच बजे दो बीम गिरीं। एईएन कलोनी व आसपास के लोगों ने किनारे दबे लोगों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। इसके बाद अंदर फंसे लोगों को निकालने में जुट गए। एनडीआरएफ के आने के बाद बचाव कार्य में तेजी आई। लगभग साढ़े सात बजे लोगों को निकाला जाना शुरू हुआ। इनपुट आईएएनएस

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अल्मोड़ा बस हादसा: सीएम धामी ने किया मुआवजे का एलान, मृतकों को चार, घायलों को एक लाख की सहायता राशि

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अल्मोड़ा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सोमवार को हुए बस हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या 36 हो गई है। इस भयंकर हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त कार्रवाई करते हुए पौड़ी और अल्मोड़ा के संबंधित क्षेत्र के एआरटीओ प्रवर्तन को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।

सीएम धामी की ओर से यह कार्रवाई सुरक्षा मानकों के उल्लंघन और लापरवाही के लिए की गई है। सीएम धामी ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान करने के निर्देश भी दिए हैं। यह आर्थिक सहायता हादसे में प्रभावित हुए परिवारों को राहत देने के उद्देश्य से है। इसके अलावा, सीएम धामी ने कुमाऊं मंडल के आयुक्त को इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराने के भी निर्देश दिए हैं।

इससे पहले सीएम धामी ने राहत कार्यों पर प्राथमिकता से जोर देते हुए कहा था कि अल्मोड़ा जिले के मार्चुला में हुई एक बस दुर्घटना में यात्रियों के हताहत होने के संबंध में दुर्भाग्यपूर्ण खबर आई है। जिला प्रशासन को तेजी से राहत और बचाव कार्य चलाने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ टीमों के साथ पीड़ितों के परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

बता दें कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सोमवार को यात्रियों से भरी एक बस सड़क से फिसलकर 200 मीटर गहरी खाई में गिर गई। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 36 हो गई, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने यह जानकारी दी।

यह बस यात्रियों को लेकर गढ़वाल से कुमाऊं जा रही थी। बताया जा रहा है कि हादसे के समय बस में क्षमता से अधिक सवारी भरी हुई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बस ने अपना नियंत्रण खो दिया था। बताया जा रहा है कि इस बस में लगभग 40 लोग सवार थे। बस जब कुपेल गांव के पास पहुंची तो चालक ने अपना नियंत्रण खो दिया और बस हादसे की शिकार हो गई।

हादसे के बाद उत्तराखंड पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) सहित क्षेत्र में आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को खोज और बचाव अभियान चलाने के लिए तुरंत तैनात किया गया है। बचावकर्मी जीवित बचे लोगों को निकालने और घायलों को नजदीकी चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचाने के काम में जुट गए हैं।

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