आध्यात्म
अगस्त में बन रहा है वासी राजयोग, इन 5 राशि के जातकों को मिलेगा शुभ फल
नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में वासी राजयोग को उत्तम फलदायी बताया गया है। अगस्त के महीने में वासी राजयोग बनने जा रहा है। दरअसल, सूर्य फिलहाल, कर्क राशि में विराजमान हैं जबकि 16 अगस्त को सूर्य कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।
इस समय बुध सिंह राशि में होंगे। सूर्य के सिंह राशि में होने पर चंद्रमा कर्क राशि में होंगे और शुक्र सूर्य से 12वें घर में होंगे। इसलिए यह शुभ फलदायी वासी राजयोग बनेगा। साथ ही सूर्य के सिंह राशि में गोचर के समय चंद्रमा और मंगल का संयोग भी बनेगा। जिससे चंद्र योग बनेगा।
ऐसे में अगस्त का महीना 5 राशि के लोगों के लिए काफी शुभ फल देने वाला रहेगा। इस दौरान इन राशि के जातकों को धन लाभ के साथ साथ करियर में भी सफलता प्राप्त होगी। आइए जानते हैं वासी राजयोग का किन राशियों को मिलेगा लाभ।
वासी राजयोग मेष राशि पर प्रभाव
वासी राजयोग बनने से मेष राशि के जातकों को उत्तम फलों की प्राप्ति होगी। इस अवधि में शिक्षा के क्षेत्र में लाभ मिलने के योग हैं। इस दौरान आपके विदेश यात्रा के योग भी बन रहे हैं। इस दौरान आप धर्म कर्म के कार्यों में अधिक रहने वाले हैं। साथ ही आपके तीर्थ यात्रा के योग भी बन रहे हैं। जो लोग तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह उत्तम रहने वाले हैं। संतान से आपको शुभ समाचार मिलेगा।
सिंह राशि पर प्रभाव
वासी राजयोग के बनने से सिंह राशि के लोगों को अपने अंदर एक अलग ही आत्मविश्वास देखने को मिलेगा। इसी के साथ इस दौरान आपका व्यक्तित्व भी काफी अच्छा रहेगा। आपके अंदर एक अलग ही सुधार देखने को मिलेगा। इस अवधि में आपकी आर्थिक स्थिति काफी अच्छी रहने वाली है।
आपकी आय में बढ़ोतरी होगी और आपके पारिवारिक जीवन में उन्नति होगी। जो लोग किसी के साथ साझेदारी में व्यापार करते हैं उन्हें इस अवधि में लाभ प्राप्त होगा।
तुला राशि पर प्रभाव
वासी राजयोग बनने से तुला राशि के जातकों को धन लाभ के योग बनेंगे। आपकी लंबे समय से जो चाहत थी वह पूरी होगी। जिन लोगों का सरकारी क्षेत्रों से संबंधित कोई काम है वह इस दौरान बनते जाएंगे। साथ ही इस दौरान आपको मित्रों की तरफ से धन लाभ के योग भी बनेंगे।
कार्यक्षेत्र में मान सम्मान भी मिलेगा। धन के मामले में भी वाशी राजयोग आपको लाभ दिलाएगा। इस दौरान आपको एक से अधिक स्रोतों से धन लाभ मिलेगा। इस दौरान अपने बड़ा भाई से बनाकर रखें उनकी मदद से आपको लाभ मिलेगा।
वृश्चिक राशि पर प्रभाव
वासी राजयोग के प्रभाव से वृश्चिक राशि वालों के जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। वाशी राजयोग आपकी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में सफलता लेकर आएगा।
आपका करियर उन्नति करेगा। जिससे आपकी आर्थिक स्थिति भी काफी अच्छी रहने वाली है। इस दौरान कुछ लोगों को पैतृक संपत्ति से लाभ मिलने की भी संभावना है। आपके जीवन में खुशियां आएंगी। आपके धन में वृद्धि के अच्छे और नए अवसर मिलेंगे।
धनु राशि पर प्रभाव
वासी राजयोग बनने से धनु राशि के जातकों को अच्छा खासा लाभ मिलेगा। इस अवधि में आप जो भी प्रयास करेंगे वह सफल रहेंगे। आप एक के बाद एक मील का पत्थर हासिल करने की खुशी का आनंद लेंगे।
इस दौरान आप किसी रोमांचक यात्रा पर भी जा सकते हैं। इस दौरान आप काफी भाग्यशाली रहने वाले हैं। आपको एक के बाद एक कई लाभ मिलेंगे। आपका स्वास्थ्य भी पहले की तुलना में इस समय काफी अच्छा रहेगा।
डिसक्लेमर: उपरोक्त जानकारी के पूर्ण सत्य व सटीक होने का हमारा दावा नहीं है। अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
आध्यात्म
महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना
महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।
16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा
लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।
सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण
उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।
जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया
बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्वच्छता का भी दिया संदेश
उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।
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