आध्यात्म
द्वारका आने से ‘महाभारत’ तक कैसा श्रीकृष्ण का जीवन, जानिए पूरी कहानी
मथुरा। वर्तमान द्वारका नगर कुशस्थली के रूप में पहले से ही विद्यमान थी। कृष्ण ने इसी उजाड़ हो चुकी नगरी को फिर से बसाया था। कृष्ण अपने 18 नए कुल-बंधुओं के साथ गुजरात के तट पर बसी कुशस्थली आकर बस गए।
अपनी नगरी का किलाबंद कर दिया-
यहीं पर उन्होंने भव्य नए द्वारका नगर का निर्माण कराया और संपूर्ण नगर को चारों ओर से मजबूत दीवार से किलाबंद कर दिया।
द्वारिका पर श्रीकृष्ण ने 36 वर्ष किया राज-
भगवान कृष्ण ने यहां 36 वर्ष तक राज किया। यहां वे अपनी 8 पत्नियों के साथ सुखपूर्वक रहते थे।
द्वारिका से किया महाभारत का संचालन-
यहीं रहकर वे हस्तिनापुर की राजनीति में शामिल रहे। यहीं से उन्होंने संपूर्ण महाभारत का संचालन भी किया।
अपने वंशजों को आपस में लड़ता देख हुए दुखी-
भगवान कृष्ण यदुओं को आपस में लड़ता देख व अपने कुल का नाश देखकर बहुत दुखी हुए। उनसे मिलने कभी-कभार युधिष्ठिर आते थे।
(रिपोर्ट : द्वारकेश बर्मन)
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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