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वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक, जानें क्या हैं नियम
राजधानी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की तबीयत कई दिनों से नाजुक बनी हुई थी। और अब अटल हमारे बीच नहीं रहे हैं। कल शाम 5 बजे के करीब यह समाचार आया कि अटल अब नहीं रहे। काफी लोगों को एक धक्का लगा है कि अब अटल हमारे बीच नहीं रहे। केंद्र सरकार ने इस मौके पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। राष्ट्रीय शोक क्या होता है और इसके क्या नियम है आइए जानते हैं-
जब किसी नेता, गणमान्य शख्स का निधन हो जाता है जिन्होंने देश के लिए अहम योगदान दिया हो तब राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है। राष्ट्रीय शोक उस महान शख्सियत के मृत्यु पर संवेदना, दुख प्रकट करने का एक तरीका है। राष्ट्रीय शोक कितने दिनों की हो इसका निर्णय सरकार करती है। अब तक की परंपरा को देखें तो राष्ट्रीय शोक एक दिन से लेकर सात दिनों तक देखा गया है।
राष्ट्रीय शोक के नियम –
* राष्ट्रीय शोक के दौरान देशभर में उन सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है जहां इसे नियमित फहराया जाता है।
* राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है।
* राष्ट्रीय शोक में सरकारी कार्यालय और कॉलेज (सरकार के निर्णय पर) बंद रखा जाता है।
* सरकारी कार्यों और समारोह और छोटे-बड़े उत्सव को रद्द कर दिया जाता है।
* दूरदर्शन और आकाशवाणी पर शोक के धुन बजाए जाते हैं।
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हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हर भेद को मिटाकर हर सनातनी को गले से लगाना होगा -“पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री”
राजस्थान। राजस्थान के भीलवाड़ा में बुधवार (6 नवंबर) से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय हनुमंत कथा शुरू हुई. यहां बागेश्वर सरकार अपने मुखारविंद से भक्तों को धर्म और आध्यात्मिकता का संदेश देंगे. छोटी हरणी हनुमान टेकरी स्थित काठिया बाबा आश्रम के महंत बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में तेरापंथनगर के पास कुमुद विहार विस्तार में आरसीएम ग्राउंड में यह कथा हो रही है.
इस दौरान बागेश्वर धाम सरकार ने भी मेवाड़ की पावन माटी को प्रणाम करते हुए सबका अभिवादन स्वीकार किया. हनुमंत कथा कहते हुए बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने हिंदू एकता और सनातन जागृति का संदेश दिया.
उन्होंने कहा, “हनुमानजी महाराज की तरह भेदभाव रहित होकर सबको श्रीरामजी से जोड़ने के कार्य से प्रेरणा लेते हुए सनातन संस्कृति से छुआछूत जातपात के भेदभाव को मिटाना है. अगर हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हर भेद को मिटाकर हर सनातनी को गले से लगाना होगा. व्यास पीठ पर आरती करने का हक सभी को है. इसी के तहत भीलवाड़ा शहर के स्वच्छताकर्मी गुरुवार को व्यास पीठ की आरती करेंगे.”
हिंदू सोया हुआ है
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदू की बुरी दशा है। कुंभकर्ण के बाद कोई सोया है तो वह हिंदू सोया है। अब हिंदुओं को जागना होगा और घर से बाहर निकलना होगा। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हमारे तन में जब तक प्राण रहेंगे तब तक हम हिंदुओं के लिए बोलेंगे, हिंदुओं के लिए लड़ेंगे। अब हमने विचार कर लिया है कि मंच से हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि हमें ना तो नेता बनना है ना किसी पार्टी को वोट दिलाना है। हम बजरंगबली की पार्टी में है, जिसका नारा भी है- जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं।
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