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वॉट्सऐप जल्द बताएगा कि खरीदी हुई दवा असली है या नकली
नई दिल्ली। आम लोगों के लिए नकली और असली दवाओं में फर्क करना बेहद मुश्किल है। यहां तक कि डॉक्टर और केमिस्ट के लिए भी ऐसा करना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है। इसी दिक्कत के मद्देनजर सरकार एक ऐसी व्यवस्था करने जा रही है, जिससे नकली और असली दवाओं का भेद समझना आसान हो जाएगा।
इस व्यवस्था के तहत जरूरतमंद लोग एसएमएस या वॉट्सऐप मैसेज से संबंधित दवाओं के बारे में पता लगा सकेंगे कि वह असली है या नकली। इसके लिए दवा कंपनियों को अगले तीन महीनों में दवाओं के कवर पर विशिष्ट कोड प्रिंट करना होगा। एक आला अधिकारी ने बताया कि इसकी मदद से शीर्ष 300 ब्रांड की दवाओं के नाम पर भारतीय बाजार में धड़ल्ले से बिक रही नकली दवाओं पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाए जा सकेंगे।
‘इकोनॉमिक टाइम्स’ के अनुसार, ड्रग्स टेक्निकल एडवायजरी बोर्ड (डीटीएबी) की ओर से ‘ट्रेस एंड ट्रैक मेकेनिज्म’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि इसे लेकर डीटीएबी की 16 मई को हुई बैठक में बताया गया है कि व्यवस्था फिलहाल स्वैच्छिक होगी। बता दें कि देश में नकली दवाओं का बड़ा बाजार है।
कई पापुलर ब्रांड की भी नकली दवाओं की बाजार में बिक्री धड़ल्ले से हो रही हैं। नकली दवाओं का पता लगाने का ठोस तंत्र विकसित नहीं होने के कारण जरूरतमंद इसे पहचान नहीं पा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो कम और मध्यम आय वाले देशों में बिकने वाली 10 फीसदी दवाएं फर्जी होती हैं। वर्ष 2014-16 में कराए गए सर्वे के अनुसार, भारत में बिकने वाली तीन फीसदी दवाएं निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं हैं।
डीटीएबी की ओर से मंजूर प्रस्ताव में कई प्रावधान किए गए हैं। अफसरों ने बताया कि नई व्यवस्था के तहत दवाओं के शीर्ष 300 ब्रांड को 14 अंकों वाला यूनीक नंबर डेवलप करना होगा। यह संबंधित दवाओं के लेबल पर प्रिंटेड होगा। इसके साथ ही इन दवाओं की मार्केटिंग करने वाली कंपनियों को मोबाइल फोन नंबर भी मुहैया कराना होगा।
उपभोक्ता इस नंबर पर एसएमएस या वॉट्सऐप मैसेज कर संबंधित दवा के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकेंगे। इसके जरिये दवा निर्माता कंपनियों, बैच नंबर, उत्पादन एवं एक्सपायरी अवधि के बारे में सूचना मिलेगी। अफसरों का मानना है कि इससे आमलोगों में दवाओं के असली होने और उचित गुणवत्ता को लेकर विश्वास बढ़ेगा। साथ ही बाजार में मौजूद फर्जी दवाओं का पता लगाना भी आसान होगा।
नेशनल
गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।
कहां-कितना है एक्यूआई
अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।
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