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BUDGET 2019 : जब भरे सदन के बीच भारत के वित्त मंत्री बन गए शायर, और फिर…

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केंद्र सरकार का आखिरी बजट पेश हो चुका है। बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने कुछ पंक्तियां पढ़ कर बजट का समापन किया। इन पंक्तियों ने सदन का समा बांध दिया।

  • मनमोहन सिंह
    वर्ष 1990-91 में मनमोहन सिंह ने अपने बजट भाषण के दौरान ये शायरी पढ़ी थी।

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोम सब मिट गए जहां से
अब तक मगर है बाकी नामो-निशां हमारा।

  • प्रणब मुखर्जी
    वर्ष 2009-10 में प्रणब मुखर्जी ने संसद में कौटिल्य की लिखी अर्थशास्त्र की कुछ पंक्तियां पढ़ी।

किसी देश की प्रगति के लिए उस देश के राजा को आने वाली विपदाओं को लेकर पहले से ही सजग रहना चाहिए और उन्हें समय से पहले खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए, आर्थिक प्रगति में आने वाली सभी बाधाओं को खत्म करना चाहिए और राजस्व की हानि को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।

  • अरुण जेटली
    वर्ष 2016-17 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने भाषण में पिछली सरकार से मिली खराब अर्थव्यवस्था का ज़िक्र करते हुए ये शायरी पढ़ी थी।

कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें,
लहर-लहर तूफान मिले और मौज-मौज मजधार हमें,
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको,
इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें।

  • अरुण जेटली
    2017-18 वर्ष में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था –

नई दुनिया है, नया दौर है, नई है उमंग,
कुछ थे पहले से तरीके तो कुछ हैं आज के रंग-ढंग
रोशनी आ के जो अंधेरों से टकराई है,
काले धन को भी बदलना पड़ा अपना रंग।

  • पीयूष गोयल

वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने अपने भाषण में गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता ‘मुझे कदम-कदम पर’ की कुछ लाइने पढ़ते हुए कहा कि  –

एक पांव रखता हूं, हजार राहें फूट पड़ती हैं। 

 

नेशनल

हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हर भेद को मिटाकर हर सनातनी को गले से लगाना होगा -“पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री”

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राजस्थान। राजस्थान के भीलवाड़ा में बुधवार (6 नवंबर) से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय हनुमंत कथा शुरू हुई. यहां बागेश्वर सरकार अपने मुखारविंद से भक्तों को धर्म और आध्यात्मिकता का संदेश देंगे. छोटी हरणी हनुमान टेकरी स्थित काठिया बाबा आश्रम के महंत बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में तेरापंथनगर के पास कुमुद विहार विस्तार में आरसीएम ग्राउंड में यह कथा हो रही है.

इस दौरान बागेश्वर धाम सरकार ने भी मेवाड़ की पावन माटी को प्रणाम करते हुए सबका अभिवादन स्वीकार किया. हनुमंत कथा कहते हुए बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने हिंदू एकता और सनातन जागृति का संदेश दिया.

उन्होंने कहा, “हनुमानजी महाराज की तरह भेदभाव रहित होकर सबको श्रीरामजी से जोड़ने के कार्य से प्रेरणा लेते हुए सनातन संस्कृति से छुआछूत जातपात के भेदभाव को मिटाना है. अगर हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हर भेद को मिटाकर हर सनातनी को गले से लगाना होगा. व्यास पीठ पर आरती करने का हक सभी को है. इसी के तहत भीलवाड़ा शहर के स्वच्छताकर्मी गुरुवार को व्यास पीठ की आरती करेंगे.”

हिंदू सोया हुआ है

बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदू की बुरी दशा है। कुंभकर्ण के बाद कोई सोया है तो वह हिंदू सोया है। अब हिंदुओं को जागना होगा और घर से बाहर निकलना होगा। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हमारे तन में जब तक प्राण रहेंगे तब तक हम हिंदुओं के लिए बोलेंगे, हिंदुओं के लिए लड़ेंगे। अब हमने विचार कर लिया है कि मंच से हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि हमें ना तो नेता बनना है ना किसी पार्टी को वोट दिलाना है। हम बजरंगबली की पार्टी में है, जिसका नारा भी है- जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं।

 

 

 

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