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प्रादेशिक

प्राइवेट पार्ट में 1.5 KG सोना छुपाना महिला को पड़ा भारी, हो गया ऐसा हाल…….

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चेन्नई से तस्करी का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। यहां एक महिला ने लाखों के सोने को बचाने के लिए क्या कुछ नहीं किया लेकिन अधिकारियों की मुस्तैदी के आगे महिला तस्कर की एक न चली और सारा सोना पकड़ा गया। दरअसल, 29 मार्च को एक महिला विदेश से सोना लेकर भारत आ रही थी।

यह महिला मूल रूप से थाईलैंड की रहने वाली है जिसका नाम क्रायसॉर्न थामप्राकोप बताया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक क्रायसॉर्न बड़ी होशियारी से डेढ़ किलो सोने की तस्करी करने की फिराक में थी लेकिन उसके मंसूबों पर एयरपोर्ट पर मौजूद कस्टम अधिकारियों ने पानी फेर दिया।

पार्किंग के पास सीमा शुल्क के अधिकारियों ने जब क्रायसॉर्न को रोका तो उसके होश उड़ गए। पहले क्रायसॉर्न ने चालाकी दिखाने की कोशिश की लेकिन जब क्रायसॉर्न की जांच की गई तो अधिकारियों के होश उड़ गए।

क्रायसॉर्न ने अपनी ब्रा में करीब डेढ़ किलो सोना छिपा रखा था। बरामद किए गए सोने की कीमत करीब 47 लाख रुपये के आसपास बताई जा रही है। इसके साथ ही कस्टम अधिकारियों ने उस शख्स को भी पकड़ लिया है जिसे क्रायसॉर्न सोना देने वाली थी।

क्रायसॉर्न यहां लवलीन कश्यप नाम के शख्स को सोना देने आयी थीं। जानकारी के मुताबिक, लवलीन चंडीगढ़ का रहने वाला है। सीमा शुल्क अधिकारी जांच कर रहे हैं कि कहीं ये दोनों अकसर तस्करी करने में लिप्त तो नहीं रहे हैं। बैंकॉक में रहने वाली लवलीन की गर्लफ्रेंड सपना ने ही क्रायसॉर्न को सोना दिया था और लवलीन को सौंपने को कहा था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कस्टम के एक अधिकारी ने बताया कि बैंकॉक में रहने वाली लवलीन की गर्लफ्रेंड सपना ने ही क्रायसॉर्न को यह सोना दिया था जो उसे लवलीन को सौंपना था। सपना ने क्रायसॉर्न को लवलीन की एक तस्वीर भी दी थी। जिसके आधार पर ही क्रायसॉर्न को लवलीन को पहचानना था, साथ ही उसे लवलीन के साथ चेन्नई से दिल्ली जाना था। ये दोनों पहली बार चेन्नई में मिले थे।

हालांकि, इस मामले में कस्टम विभाग के अधिकारी अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि थाइलैंड की यह महिला क्या पहले भी सोने की तस्करी में शामिल रही है? पुलिस को यह भी पता चला है कि लवलीन अक्सर बैंकॉक जाया करता था और वहां से कई उपहार लाया करता था। इससे पहले की महिला अपने इरादों में कामयाब हो पाती कस्टम अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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