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विश्व मधुमक्खी दिवस पर जानिए क्यों इंसानों की जिंदगी है इन पर निर्भर
आपको मधुमक्खियां और दूसरे कीट पतंगे देखकर बड़ी उलझन सी होती होगी। ऐसा मन में आता होगा कि ये दूर रहें तो बेहतर लेकिन क्या आपको पता है कि हम इंसानों का जीवन बहुत हद तक इन मधुमक्खियों और छोटे-छोटे कीड़ों के अस्तित्व पर टिका है। आज विश्व मधुमक्खी दिवस के मौके पर जान लीजिए कितनी खास है आपके लिए इनका बने रहना।
असल में तितली और मधुमक्खियों समेत उड़ने वाले कीड़े पेड़-पौधों के परागण में अहम भूमिका निभाते हैं। परागण के ही जरिए नए पेड़-पौधे पनपते हैं साथ ही हमें भी फल और सब्जियां मिलती हैं। लेकिन अगर ये नन्हे जीव खत्म हो गए तो हमारे पौधों की बहुत सी प्रजातियां जो अपनी वंशवृद्धि के लिए इन्हीं पर निर्भर थीं, खत्म हो जाएंगी।
इसके अलावा इन कीड़ों को खाने वाले पंछी भी भूख से मरने लगेंगे। इस तरह धरती पर विनाश का चक्र शुरू हो जाएगा। इसका सीधा असर फसलों और फलों के उत्पादन पर दिखने भी लगा है। वैज्ञानिक चेतावनी भी दे चुके हैं कि अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो बहुत बड़ा वैश्विक खाद्य संकट खड़ा हो सकता है।
Today is World Bee Day ? European bees are vital for the ecosystem, but they have seen better days. Check out what Parliament is doing to protect them ⬇ ? pic.twitter.com/g7N6sKwkr1
— European Parliament (@Europarl_EN) May 20, 2018
It’s #WorldBeeDay! Bees play a critical role in healthy ecosystems & are essential for food production. Yet as many as 24% of Europe’s bumblebee species are threatened with extinction. ? #WhyNatureMatters pic.twitter.com/b6mUmw9OEG
— WWF UK (@wwf_uk) May 20, 2018
Celebrate #WorldBeeDay today! Why not plant some #bee-friendly flowers or raise awareness with family & friends or simply enjoy watching our beautiful #bees go about their work today. #pollination #conservation pic.twitter.com/efWVZRQVsj
— BBCT (@BumblebeeTrust) May 20, 2018
इन कीटों के लिए बहुत हद कीटनाशकों का बढता प्रयोग, कुछ लोग मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन को भी जिम्मेदार मानते हैं। कुछ यूरोपीय देशों में तो इन्हें हानि पहुंचाने वाले केमिकल नियोनिकोटिनॉयड्स पर बैन लगा चुके हैं। अनुमान है कि वर्ष 2018 तक यह बैन लागू हो जाएगा। इसके बाद बैन किए जाने वाले कीटनाशकों का इस्तेमाल सिर्फ ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस कहे जाने वाले फॉर्मों के भीतर किया जा सकेगा क्योंकि वहां मधु मक्खियां नहीं होतीं।
नेशनल
गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।
कहां-कितना है एक्यूआई
अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।
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