उत्तराखंड
योग महोत्सव शुरू परन्तु प्रदेश के योगाचार्य बेरोजगार
देहरादून। जिस प्रदेश से योग को देश और दुनिया भर में इतनी प्रसिद्धि मिली उसी प्रदेश में योग प्रशिक्षित युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। उत्तराखंड में 15 हजार से अधिक स्कूलों में योग को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है और इनकी नियुक्ति का मामला तीन बार कैबिनेट में आ चुका है। मंत्रीपरीषद के फैसले के बावजूद इसकी फाइल शासन में ही लटकी हुई है।
भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार रही हो या फिर वर्तमान कांग्रेस सरकार योग प्रशिक्षित बेरोजगारों की नियुक्ति के नाम पर कई बार घोषणाएं हुईं, लेकिन बेरोजगारों को नियुक्ति नहीं मिली। एक मार्च 2014 को टिहरी में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जूनियर हाईस्कूल एवं इससे उच्च स्तर की कक्षाओं में योग शिक्षा को शामिल करने एवं योगाचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की थी।
सीएम की घोषणा के बाद इसी वर्ष मई में हुई कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव आया। इससे पहले निशंक सरकार में भी मामला कैबिनेट की बैठक तक पहुंचा। कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी योग प्रशिक्षित बेरोजगार को अब तक नियुक्ति नहीं मिल पाई है। स्थिति यह है कि प्रदेश में लाखों बच्चे बगैर योगाचार्यों के योग की शिक्षा ले रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस सरकार में हुई योग शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणाएं वित्त में लटक गई हैं। शिक्षा विभाग अधिकारियों का कहना है कि कक्षा छह से आठ तक में योग एवं शारीरिक शिक्षा पाठ्यक्रम पहले से लागू है।
प्रदेश के शिक्षा सचिव, डी. संथिल पांडियन ने बताया कि 50 से अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों में योग शिक्षकों और बीपीएड प्रशिक्षितों की नियुक्ति होनी है। करीब 800 पदों में से 50 फीसदी पदों पर योग शिक्षक रखे जाने हैं, वहीं एक महीने पहले कैबिनेट से 500 पदों पर नियुक्ति का प्रस्ताव पास हुआ है। वित्त को इसकी फाइल भेजी गई है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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