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उत्तर प्रदेश

ग्रेटर नोएडा में ‘सिक्वेंशियल बैच रिएक्टर टेक्नोलॉजी’ बेस्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना करेगी योगी सरकार

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लखनऊ/ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश की प्रगति व उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उसे उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में प्रयासरत योगी सरकार ने ग्रेटर नोएडा में विकास को गति देने के लिए दो प्रमुख योजनाओं पर कार्य शुरू कर दिया है। ग्रेटर नोएडा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना व संचालन के साथ ही गंगा जल प्रोजेक्ट से संबंधित परियोजनाओं को गति देने का कार्य शुरू हो गया है। सीएम योगी के विजन अनुसार, ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-1 में में ‘सिक्वेंशियल बैच रिएक्टर टेक्नोलॉजी’ बेस्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना किया जाना निर्धारित है। 79.57 करोड़ की लागत से बनने वाले 45 एमएलडी कैपेसिटी युक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व वॉटर रीक्लेमशन फैसिलिटी की स्थापना, संचालन व टेस्टिंग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी प्रकार, 85 क्यूसेक कैपेसिटी वाले गंगा जल प्रोजेक्ट के अंतर्गत 3 जोनल रिजरवॉयर में इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल व अन्य सिविल वर्क्स को जल्द पूरा करने के लिए एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन की प्रक्रिया शुरू कर दिया गया है। इस कार्य में कुल मिलाकर 11.44 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है। इन दोनों ही कार्यों को पूरा करने के लिए ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ओर से प्रक्रिया शुरू हो गई है और सभी कार्यों को पूरी गुणवत्ता के साथ जल्द से जल्द पूरा करने पर फोकस किया जा रहा है।

एसबीआर टेक्नोलॉजी युक्त होगा एसटीपी, कई खूबियों से होगा लैस

ग्रेटर नोएडा के समेकित विकास के लिए सीएम योगी के विजन में तैयार की गई विस्तृत कार्ययोजना के अनुसार, ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-1 में 79.57 करोड़ रुपए की लागत से सिक्वेंशियल बैच रिएक्टर (एसबीआर) टेक्नोलॉजी युक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का विकास किया जाएगा। यह 45 एमएलडी कैपेसिटी वाला एसटीपी होगा जिसे एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन के बाद 15 महीनों में पूरा किया जाएगा। वहीं, ऑपरेशन व मैनेजमेंट के लिए 120 महीनों की कार्यावधि निर्धारित की गई है। इस प्लांट के निर्माण को लेकर पहले एजेंसी द्वारा साइट एनवॉयरमेंट प्लान (एसईपी) तैयार किया जाएगा। सभी निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न मानकों का ध्यान रखा जाएगा जिसमें वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण के स्तर को भी मॉनिटर करते हुए कम से कम रखा जाएगा। यह ट्रीटमेंट प्लांट वॉटर रीक्लेमेशन फैसिलिटी भी होगा। प्लांट के संचालन के लिए 3 महीने का ट्रायल पीरियड भी निर्धारित किया गया है जिसमें इसके संचालन के विभिन्न मानकों को मॉनिटर करते हुए क्रियान्वित किया जाएगा। इस दौरान, डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड की समयावधि 12 महीने निर्धारित की गई है। प्लांट का डिस्पोजल चैनल हिंडन नदी के किनारे स्थित होगा। प्लांट को सौर ऊर्जा युक्त भी किया जाएगा और इसके हाइड्रोलिक पंपों का संचालन सौर ऊर्जा के जरिए किए जाने की योजना है।

एक साथ कई प्रकार के अपशिष्टों का हो सकेगा निस्तारण

प्लांट में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सीवरेज आउटकम को गहरे गुरुत्वाकर्षण आउटफॉल सीवर द्वारा प्राप्त किया जाएगा, जो रॉ सीवेज को एक रिसीविंग चैंबर में डिस्चार्ज करेगा, जहां से इसे डाउनस्ट्रीम मोटे स्क्रीन में ले जाया जाएगा। सीवेज के साथ आने वाली सामग्रियों को हटाने के लिए उसे गीले कुएं के ऊपर मोटे स्क्रीन चैनल में छाना जाएगा। स्क्रीनिंग के बाद सीवेज वेट वेल में प्रवेश करेगा। प्लांट वेट वेल युक्त होगा जिसकी क्षमता औसत और पीक फ्लो स्थितियों के दौरान पर्याप्त हाइड्रोलिक प्रतिधारण करने की होगी। प्लांट में फ्लो मैनेजमेंट, इनलेट चैंबर, फाइन स्क्रीनिंग व डी-ग्रिटिंग व्यवस्था को भी पूर्ण किया जाएगा। प्लांट में उपचारित सीवेज में से बीओडी, सीओडी, निलंबित ठोस, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस को हटाने तथा बायोलॉजिकल ऑर्गैनिक रिमूवल के लिए एसबीआर इकाइयों में डाला जाएगा। एसबीआर बेसिन को दो क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा, जोकि सिलेक्शन जोन व एरेशन जोन युक्त होंगे। एसबीआर एकल चरण में चक्रीय/बैच मोड में काम करेगा। यह जैविक कार्बनिक निष्कासन, नाइट्रीकरण, विनाइट्रीकरण और जैविक फॉस्फोरस निष्कासन करेगा और एक साथ अपशिष्ट स्थिरीकरण करने में सक्षम होगा।

कार्यावंटन के बाद 12 महीने में गंगा जल प्रोजेक्ट के कार्य होंगे पूर्ण

ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा बनाई गई कार्ययोजना के अनुसार, गंगा जल प्रोजेक्ट को एजेंसी निर्धारण व कार्यावंटन के बाद 12 महीने की कार्यावधि में पूरा कर लिया जाएगा। परियोजना के अंतर्गत 85 क्यूसेक कैपेसिटी वाले गंगा जल प्रोजेक्ट में 3 जोनल रिजरवॉयर में इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इंस्ट्रूमेंटल व अन्य सिविल वर्क्स को जल्द से जल्द पूरा करने पर फोकस किया जा रहा है। इसके अंतर्गत, विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिकल इक्विप्मेंट इंस्टॉलेशन व फिटिंग वर्क्स, पाइपलाइन फिटिंग व इंस्टॉलेशन, फ्लोर माउंटेड क्लोरिनेशन सिस्टम, हाइपो क्लोराइड डोजिंग सिस्टम, मीटरिंग व डोजिंग पंप इंस्टॉलेशन समेत विभिन्न कार्यों को पूरा किया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश

04 जोन में 107 बीटों के रक्षक करेंगे 45 करोड़ श्रद्धालुओं की सुरक्षा

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प्रयागराज | महाकुंभ 2025 को सनातन धर्म का सबसे बड़ा आयोजन बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखते हुए 45 करोड़ लोगों की सुरक्षा का पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है। इसके लिए जल पुलिस के लिहाज से चार जोन का सुरक्षा घेरा बनाया गया है। जिसमें बाकायदा 107 बीटों में बंटे सुरक्षा कर्मी देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की हिफाजत के लिए मौके पर तैनात रहेंगे। यहां कुल 10 कंपनी पीएसी, एसडीआरएफ, एनडीआरफ और 141 सुरक्षाकर्मियों के अलावा 700 नावों पर रक्षक तैनात किए जा रहे हैं। इनके साथ स्वास्थ्य कर्मियों की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं।

107 बीटों पर तैनात रहेंगे सुरक्षा कर्मी

आईजी पीएसी पूर्वी जोन डॉ. राजीव नारायण मिश्र ने बताया कि महाकुंभ में 10 कंपनी पीएसी देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहेगी। महाकुंभ के दौरान यहां प्रयागराज में देश-विदेश से करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। संगम में स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा का विशेष इंतजाम किया गया है। जिसमें सुरक्षा कर्मियों को 107 बीटों में बांटा गया है। यही नहीं स्नानार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न होने पाए इसके लिए बाकायदा चिकित्सक और जन औषधि केंद्रों से युक्त आधुनिक वाटर कंट्रोल रूम बनाए जा रहे हैं। जल पुलिस अलग से थाने और चौकियों के साथ 16 सब कंट्रोल रूम बनाने की तैयारी में लगी है। जिससे पलक झपकते ही श्रद्धालुओं को हर सुविधा मुहैया कराई जा सके।

रिफ्लेक्टिव रिवर लाइन का नहीं किया जा सकेगा उल्लंघन

उन्होंने बताया कि कोई अनहोनी न होने पाए, इसके लिए थर्मो-प्लास्टिक के फ्लोटिंग ब्लाक्स को जोड़कर बैरिकेडिंग बनाई जा रही है, जिस पर 24 घंटे पुलिस कर्मी तैनात किए जाएंगे। स्नान के दौरान नावों के टकराने की कोई आशंका नहीं रहेगी, इसके भी पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं। जिसके तहत सौर ऊर्जा का प्रयोग कर रिफ्लेक्टिव रिवर लाइन बनाई जा रही है। जिसकी वजह से कोई भी नाविक लेन का उल्लघंन नहीं कर पाएगा।

चार जोन का सुरक्षा चक्र

महाकुंभ के दौरान देश-विदेश से प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए योगी सरकार ने विशेष इंतजाम किए हैं। इसके तहत जल पुलिस को चार जोन में बांटकर सुरक्षा घेरा बनाया गया है।

पहला जोन (संगम क्षेत्र)

पहला संगम का घेरा रहेगा, जिसमें 25 बीट में 290 पीएससी, एसडीआरएफ, एनडीआरफ, 8 पीएससी गोताखोर, 30 सुरक्षाकर्मी, 18 प्राइवेट गोताखोर, 26 होमगार्ड, 27 मोटर बोट और 113 नाव सुरक्षा इंतजाम में लगाए गए हैं।

दूसरा जोन (बरगद घाट)

दूसरा बरगद घाट का घेरा रहेगा। इस दूसरे जोन में 28 बीट में 33 सुरक्षाकर्मी, 100 पीएसी व एनडीआरएफ एसडीआरएफ, 50 होमगार्ड, 40 पीएससी गोताखोर, 50 प्राइवेट गोताखोर, 24 मोटर बोट और 77 नाव रहेंगी।

तीसरा जोन (संगम क्षेत्र से दुर्वासा)

तीसरा जोन संगम क्षेत्र से दुर्वासा का होगा। इस तीसरे जोन में 16 बीट के अंतर्गत 21 सुरक्षाकर्मी, 68 पीएसी व एसडीआरएफ, एनडीआरफ, 16 प्राइवेट गोताखोर, 28 होमगार्ड, 8 मोटर बोट और 99 नाव सुरक्षा के लिए उपलब्ध रहेगी।

चौथा जोन (संगम क्षेत्र से फाफामऊ)

चौथा जोन 38 बीटों वाला रहेगा, जिसमें 50 सुरक्षाकर्मी और पीएसी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ 210, 14 पीएससी गोताखोर, 19 प्राइवेट गोताखोर, 64 होमगार्ड, 33 मोटर बोट और 311 नाव रहेंगी।

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