Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

अंग्रेजी में ‘मिथिला गान’ तैयार

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)| ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक और मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने अंग्रेजी में ‘मिथिला एंथम’ (मिथिला गान) की रचना की है, जिसे भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से कॉपी राइट मिला है। मिथिला यानी उत्तर बिहार का वह क्षेत्र, जहां की बेटी सीता को जगत-जननी माना गया और उनसे विवाह कर अयोध्या के राम मिथिला के ‘पाहुन’ (मेहमान) बने। मिथिला की अपनी भाषा ‘मैथिली’ है और अपनी ‘तिरहुता’ लिपि है, जिसे मिथिलाक्षर कहा जाता है। इस भाषा का समृद्ध साहित्य है और सांस्कृतिक परंपराएं हैं। कई दशकों से अलग मिथिला राज्य की मांग भी उठती रही है।

डॉ. झा के रचे बीस पंक्तियों के ‘मिथिला एंथम’ में दुनियाभर में फैले उन मिथिलावासियों से अपनी धरती मिथिला आने का आह्वान किया गया है, जो इस संस्कृति व विरासत का हिस्सा हैं और इससे जुड़कर अपनी पहचान बनाए रखना चाहते हैं।

डॉ. झा का कहना है कि इस गान का उद्देश्य मिथिलावासियों के बीच एकता व भाईचारा विकसित करना है। ‘ओ माई डिअर फेलो..’ से शुरू होने वाला यह ‘एंथम’ मैथिली भाषा में लिखने के बजाय अंग्रेजी में क्यों लिखा गया, इस सवाल पर उन्होंने कहा, चूंकि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है और इसके माध्यम से हम देश के बाहर रहने वाले मिथिलवासियों से भी आसानी से जुड़ सकते हैं, इसलिए पहले अंग्रेजी में ही लिखा गया, लेकिन जल्द ही इसका मैथिली और हिंदी दोनों में भावानुवाद कराया जाएगा।

डॉ. झा ने कहा, अभी तो यही बेहद खुशी की बात है कि मिथिला संस्कृति का एक अपना ‘मिथिला गान’ बनकर तैयार हो चुका है, जो हमें भावनात्मक स्तर पर परस्पर करीब लाने में सहायक होगा।

मिथिला की संस्कृति व विरासत के प्रचार-प्रसार के लिए डॉ. झा काफी समय से विविध प्रकार की सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं। पिछले साल उन्होंने ‘पाग बचाओ अभियान’ शुरू किया था और इस साल ‘चलू सौराठ सभा’ जैसा अभियान शुरू कर विश्वभर के मैथिलवासियों का ध्यान आकर्षित किया।

मिथिला में पाग पहनने की बेहद प्राचीन परंपरा रही है, जिसे लोग अब भूलते जा रहे हैं। टोपी और पगड़ी का मिश्रित रूप ‘पाग’ असल में सम्मान और लोक संस्कृति का परिचायक है जो क्षेत्र विशेष की विशिष्टताओं को व्यक्त करती है। इसी तरह मिथिला की प्रसिद्ध ‘सौराठ सभा’ परंपरागत विधियों से दहेजमुक्त सामूहिक विवाह और ज्ञान-विज्ञान पर शास्त्रार्थ करने के लिए प्रसिद्ध रहा है।

मिथिला में आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ बहुचर्चित रहा है। दिग्विजय करते हुए मिथिला पहुंचे शंकराचार्य को मंडन मिश्र की पत्नी भारती ने अपने तर्को से पराजित किया था। शास्त्रार्थ की यह परंपरा बिहार के मधुबनी जिले में 25 जून से 3 जुलाई तक चली सौराठ सभा के दौरान फिर से शुरू की गई। काफी समय बाद इस बार की सौराठ सभा में 365 युवा जोड़ियों का विवाह भी संपन्न कराया गया।

Continue Reading

नेशनल

गुरुवार को प्रियंका गांधी ने लोकसभा की सदस्यता की ली शपथ

Published

on

Loading

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी ने केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है। इस सीट पर पहले राहुल गांधी सांसद थे, लेकिन रायबरेली सीट से भी चुनाव जीतने के बाद उन्हें वायनाड सीट को खाली करना पड़ा था। इसी कड़ी में वायनाड सीट पर हुए उपचुनाव में प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया। इस सीट पर प्रियंका गांधी ने जीत दर्ज की है। गुरुवार को प्रियंका गांधी ने लोकसभा की सदस्यता की शपथ ली। प्रियंका गांधी ने हिंदी भाषा में शपथ ली और उन्होंने इस दौरान अपने हाथ में संविधान की एक प्रति ले रखी थी। बता दें कि गुरुवार को महाराष्ट्र के नादेंड़ से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए कांग्रेस नेता रवींद्र बसंतराव चव्हाण ने भी सदन की सदस्यता की शपथ ली।

संसद में गांधी परिवार के तीन सदस्य

रवींद्र बसंतराव चव्हाण ने मराठी भाषा में संसद की सदस्यता की शपथ ली। शपथ ग्रहण करने के बाद प्रियंका गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। उन्होंने विपक्ष में अग्रिम पंक्ति में बैठे नेताओं की ओर हाथ जोड़कर अभिवादन किया और सदन में नेता प्रतिपक्ष तथा उनके भाई राहुल गांधी ने हाथ जोड़कर प्रियंका गांधी का अभिवादन स्वीकार किया। बता दें कि यह पहली बार है जब गांधी परिवार के तीन सदस्य संसद में हैं। दरअसल राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लोकसभा की सदस्य हैं। वहीं सोनिया गांधी राज्यसभा सांसद हैं।

Continue Reading

Trending