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अखिलेश आज जारी करेंगे घोषणापत्र, बिजली, मकान, मोबाइल व एक्सप्रेस-वे से लुभाएंगे

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Akhilesh menifestoलखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 18 जनवरी को अपना घोषणापत्र जारी कर सकते हैं। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस बार का उप्र विधानसभा चुनाव कई मायनों में बेहद अनोखा और खास है। पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार राजनीतिक पार्टियों ने अभी तक अपना घोषणापत्र जारी किया है। बसपा के सिवाय किसी पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवार तक घोषित नहीं किए हैं।

सपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी मुखिया की कुर्सी और ‘साइकिल’ की लड़ाई जीतने के बाद अखिलेश यादव 18 जनवरी को अपना घोषणापत्र जारी कर सकते हैं। इस घोषणापत्र में बिजली, मकान, मोबाइल और एक्सप्रेसवे से जनता को लुभाने का प्रयास हो सकता है।

अखिलेश यादव ने गरीबों को स्मार्ट फोन बांटने की योजना को ‘तुरुप का इक्का’ करार दिया है। टीम अखिलेश ने इस योजना के माध्यम से उन युवाओं को लुभाने का प्रयास किया है, जो पहली बार वोटर बने हैं। इनकी संख्या लाखों में हैं और वे चुनाव को पलटने की ताकत रखते हैं।

अखिलेश अपने घोषणापत्र में किसानों के लिए बड़ा ऐलान कर सकते हैं। किसानों के लिए अलग से बिजली व्यवस्था की मैनिफेस्टो में घोषणा की जा सकती है। ट्यूबवेल चलाने के लिए अखिलेश सरकार अलग से बिजली सप्लाई देगी। इसके लिए अलग से फीडर लगाए जाएंगे। घोषणा पत्र में इस वादे का भी जिक्र हो सकता है कि जिस दिन ट्यूबवेल के लिए फीडर अलग हो जाएंगे, उस दिन अखिलेश सरकार सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त कर देगी।

अखिलेश यादव ने आचार संहिता से ठिक पहले प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पास किया था। हांलाकि इन्हें अभी एससी का दर्जा मिलना बाकी है, लेकिन अपने घोषणापत्र में इन जातियों के लिए अखिलेश यादव बड़े पैकेज का ऐलान कर सकते हैं।

पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा इसके लिए प्रस्ताव अखिलेश यादव को दे चुके हैं। अखिलेश यादव का घोषणापत्र चाहे जब जारी हो लेकिन, इन वायदों को उसमें जरूर देखा जा सकता है, क्योंकि इनका वादा अखिलेश ने अपनी सभाओं और बैठकों में किया था। उनके घोषणापत्र पर इसलिए भी सबकी निगाहें हैं, क्योंकि उससे जाहिर होगा कि विकासवादी राजनीति की बात करने वाले अखिलेश यादव क्या सचमुच ऐसी ही राजनीति के लिए ‘सीरियस’ हैं?

अखिलेश यादव बेहतरीन सड़कों को विकास के लिए बेहद अहम मानते हैं। उन्हें हर बार ये कहते हुए सुना गया है कि रफ्तार जितनी तेज होगी विकास की रफ्तार उसी अनुपात में तीन गुनी तेज होगी। लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे को वे विकास मॉडल का सबसे बड़ा उदाहरण मानते हैं। इसी तर्ज पर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को भी बनाए जाने की घोषणा की है। अब अखिलेश यादव कई और नए एक्सप्रेस-वे के निर्माण की घोषणा अपने मैनिफेस्टो में कर सकते हैं। बुंदेलखंड में घोषणा तय मानी जा रही है।

आसरा योजना के तहत गरीबों को राज्य सरकार एक कमरे का घर मुहैया कराती है, लेकिन अखिलेश यादव ने कुछ ही दिन पहले ये घोषणा की थी कि यदि उनकी सरकार बनी तो एक कमरे की बजाय गरीबों को दो कमरे का घर दिया जाएगा।

अखिलेश यादव ने दावा किया था कि शहरों में चौबीस घंटे, जबकि गांवों को 18 घंटे बिजली दी जा रही है। अब अखिलेश यादव अपने घोषणापत्र में गांवों को भी 24 घंटे बिजली देने का वादा शामिल कर सकते हैं।

मिड डे मील एक ऐसी योजना है, जिससे यूपी का हर गांव प्रभावित होता है। अखिलेश यादव के घोषणापत्र में ये वादा शामिल किया जा सकता है कि मथुरा और लखनऊ के बाद पूरे राज्य में अक्षयपात्र संस्था का बनाया मिड डे मील ही दिया जाएगा।

अक्षयपात्र की केंद्रीकृत किचेन से बने मिड डे मील की मथुरा और लखनऊ में काफी तारीफ हुई है। प्रदेश के ज्यादातर प्राथमिक स्कूलों में बच्चे आज भी दरी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। फंड की कमी के चलते स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। अखिलेश यादव घोषणापत्र में स्कूलों को फर्नीचर देने का वादा भी कर सकते हैं।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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