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मुख्य समाचार

अखिलेश ने 6 महीने में मोदी को लिखे 66 पत्र

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह महीने में 66 पत्र लिखे हैं। यह बात भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर नागवार गुजरी। पार्टी ने आरोप लगाया कि अखिलेश अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए प्रधानमंत्री को लगातार पत्र लिख रहे हैं, यह ठीक बात नहीं है।   भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में अराजकता अपने चरम पर है। प्रदेशवासी दहशत में हैं। विकास कार्य ठप हैं। व्यवस्था सुधारने के नाम पर सिर्फ अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा रहा है। रामपुर और सैफई महोत्सव में प्रदेश की गाढ़ी कमाई बर्बाद हो रही है।

विजय बहादुर पाठक ने कहा कि केंद्र में संप्रग सरकार के दौरान और प्रदेश में सपा सरकार के ढाई वर्षो में उत्तर प्रदेश को क्या मिला, इसका जबाब प्रदेश की जनता चाहती है। प्रवक्ता ने कहा, “मुख्यमंत्री अभी भी लड़कपन छोड़ नहीं पा रहे हैं और अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। मुख्यमंत्री केवल कुर्तकों का सहारा लेते हंै और राजनैतिक मयार्दाओं का भी ध्यान नहीं रखते।”

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के शासनकाल में किसान त्रस्त है, बिजली आपूर्ति बदहाल है, उर्वरक की उपलब्धता नहीं हो पा रही है और किसानों को बकाये का भुगतान नहीं हुआ है। सही तरीके से धान की खरीद भी नहीं हो पा रही है। उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी ने सवाल उठाया है कि देश की सबसे संसद में ज्यादा सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश को केंद्र की भाजपा सरकार ने छह महीने में अब तक क्या दिया है?

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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