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परिवार में झगड़ा नहीं : अखिलेश

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अखिलेश

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अखिलेशलखनऊ| उत्तर प्रदेश में पिछले दो दिनों से चल रहे सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार को अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि परिवार में कोई झगड़ा नहीं है। जो भी मतभेद हैं, वे सरकार से संबंधित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने ज्यादातर फैसले नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से परामर्श पर ही लिए, केवल कुछ ही फैसले खुद किए।

उन्होंने अपने आवास पर एक समारोह के दौरान कहा, “पिछले दो दिनों से जो चल रहा है, वह सरकार से संबंधित झगड़ा है, परिवार से संबंधित नहीं।”

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव कैसे हटेंगे और मंत्री कैसे हटेंगे? क्या यह बाहरी लोग तय करेंगे?

उन्होंने कहा, “नेता जी का कहना सभी मानते हैं। मैं भी मानता हूं, लेकिन कभी-कभी कुछ निर्णय खुद भी किए जाते हैं।”

गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से उप्र में समाजवादी पार्टी और सरकार के बीच उठापटक जारी है। दो दिन पहले अखिलेश ने दो मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति व राजकिशोर को बर्खास्त किया था। फिर उन्होंने मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया।

इसके बाद दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर अखिलेश यादव को सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को उप्र की कमान सौंप दी गई। इसके बाद अखिलेश ने फिर पलटवार किया और शिवपाल को महत्वहीन विभाग देकर उनका कद छोटा कर दिया। लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग व राजस्व विभाग वापस लेकर उन्हें समाज कल्याण एवं भूमि परती विकास विभाग दे दिया।

उधर, सैफई पहुंचे शिवपाल ने भी मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि नेताजी का फैसला पत्थर की लकीर है। उसे कोई नहीं पलट सकता। नेताजी जो भी फैसला लेंगे, उसका हर हाल में पालन किया जाएगा।

सपा के सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव जिस बाहरी व्यक्ति की बात कर रहे हैं वह राज्यसभा सांसद अमर सिंह हैं। अमर सिंह के कहने पर ही नेताजी ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। अखिलेश यादव पर लगातार इस बात का दबाव बन रहा था कि वह गायत्री प्रसाद प्रजापति व राजकिशोर को वापस लें और मुख्य सचिव दीपक सिंघल को भी पुन: मुख्य सचिव बनाया जाए। लेकिन मुख्यमंत्री इसके लिए तैयार नहीं हुए।

नेशनल

अरविंद केजरीवाल ने खटखटाया दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा, सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को बताया अवैध

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नई दिल्ली। आबकारी नीति घोटाला मामले में फंसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में अपनी गिरफ्तारी और सीबीआई रिमांड को चुनौती दी है। सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था और अदालत ने उन्हें तीन दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया था। इसके बाद 29 जून को रिमांड अवधि समाप्त होने पर अदालत ने केजरीवाल को 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। आबकारी घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निचली अदालत से मिली निमयित जमानत पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

उल्लेखनीय है कि शनिवार को केजरीवाल की तीन दिन की हिरासत समाप्त होने के बाद दिल्ली की अदालत ने उन्हें 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया और कहा कि उनका नाम आबकारी नीति मामले में “मुख्य साजिशकर्ताओं” में सामने आया है।

एजेंसी ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत मांगी थी और दावा किया था कि अरविंद केजरीवाल ने जांच में सहयोग नहीं किया और टालमटोल वाले जवाब दिए। एजेंसी ने कहा था कि केजरीवाल गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं।

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