साइंस
अब बिना इंटरनेट और स्मार्टफोन के भी पेटीएम से होगा भुगतान
नई दिल्ली | ई-वॉलेट भुगतान एप पेटीएम ने आपके भुगतान माध्यम को सरल बनाने के लिए आज एक नए फीचर का ऐलान किया। इस नए फीचर के जरिए अब आप स्मार्टफोन के बिना भी पेटीएम वॉलेट का इस्तेमाल कर बिल भुगतान कर सकते हैं।
हालांकि, पेटीएम अकाउंट बनाने और इसे अपने फोन नंबर से लिंक करने या वॉलेट रीचार्ज करने के लिए एक स्मार्टफोन या पीसी की जरूरत अभी भी होगी लेकिन, हर रोज किए जाने वाले भुगतान के लिए आपको स्मार्टफोन या इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए आपके पास सिर्फ एक फोन का होना जरूरी है, भले ही यह एक फीचर फोन हो।
कैसे होगा बिना फोन भुगतान?
1–पेटीएम ने इस फीचर के इस्तेमाल के लिए एक टोल फ्री नंबर- 1800 1800 1234 लॉन्च किया है। पिन सेट करने के लिए आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से इस टोल फ्री नंबर पर कॉल करना होगा। इस नंबर पर कॉल करने से आपको एक वॉयस मैसेज सुनाई देगा जिसमें पिन सेट करने के लिए आपको वापस कॉल किए जाने की बात होगी।
2–इसके बाद, इस नंबर पर कॉल कर आप भुगतान कर सकते हैं। जिसे भी पैसे भेजने हैं उसका फोन नंबर टाइप कीजिए, इसके बाद अमाउंट डालिये और फिर अपना पिन डालकर भुगतान की पुष्टि कर दीजिए।
इस फीचर को इस्तेमाल करने के लिए आपको किसी स्मार्टफोन या पेटीएम एप या इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, यह भुगतान करने का सबसे आसान तरीका नहीं है लेकिन कुछ परिस्थितियों में इस तरह का फीचर निश्चित तौर पर काम आ सकता है।
3–उदाहरण के लिए, हमारे कई उम्रदराज रिश्तेदार अभी भी आसान इस्तेमाल के चलते फीचर फोन ही चलाना पसंद करते हैं। ऐसे यूजर जिन्हें, 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने के बाद डिजिटल भुगतान करने की जरूरत पड़ रही है, उनके लिए पेटीएम का टोल फ्री नंबर काम का साबित हो सकता है।
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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में
नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।
होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।
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