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अभिनय के बिना भी रह सकता हूं : डैनी डेंजोंगप्पा

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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)| रुपहले पर्दे पर पांच दशकों में 100 से अधिक फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले अभिनेता डैनी डेंजोंगप्पा (70) की फिलहाल अभिनय से सेवानिवृत्त होने की कोई योजना नहीं है, लेकिन डैनी ने कहा कि यह उनके लिए एक ऐसी चीज है जिसके बिना वह रह सकते हैं।

पिछले कुछ सालों में डैनी नाम शबाना (2017), बेबी (2015) और बैंग बैंग (2015) में नजर आए थे। लेकिन क्या उन्हें कभी भी अभिनय के बिना जीवन जीने का विचार किया है?

डैनी ने सिक्किम की यात्रा करने के दौरान फोन पर आईएएनएस को बताया, मैं ऐसा कर सकता हूं। मैं ध्यान कर सकता हूं और दुनिया भर में घूम सकता हूं। मैं पेंटिंग और बागवानी कर सकता हूं। लेकिन एक अच्छी पटकथा मिलने पर फिल्म करना अच्छा है। मुझे पटकथाएं मिलती रहती हैं, मैं उन्हें पढ़ता हूं और फिर मैं एक साल में एक फिल्म करता हूं जो एक अच्छा बदलाव है।

उन्होंने कहा, मैं ज्यादातर सर्दियों में शूटिंग करता हूं, क्योंकि यह मेरे लिए एक बहुत ही आरामदायक स्थिति होती है। मैं दौड़ का हिस्सा नहीं हूं। मैंने यह कभी नहीं किया है। मेरी अपनी जगह है।

1971 में फिल्म ‘जरूरत’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने के बाद डैनी ने फिल्म उद्योग में एक विलेन के रूप में खास जगह बनाई। ’36 घंटे’, ‘द बर्निग ट्रेन’, ‘बंदिश’ और ‘अग्निपथ’ जैसी फिल्मों में उनके द्वारा निभाए गए खलनायक के किरदारों को आज भी याद किया जाता है।

उन्होंने कहा, इसमें (खलनायक की भूमिका) एक अलग आकर्षण है। 1970, 80 और 90 के दशक में नायक के बाद खलनायक सबसे महत्वपूर्ण चरित्र होता था। खलनायक के बिना कोई पटकथा नहीं थी। यह इस अर्थ में और रोमांचक था कि खलनायक के लिए संवाद और श्य जबरदस्त होते थे। हमने आनंद लिया। अब समय बदल गया है। आजकल आप नायकों को नकारात्मक भूमिका में देख रहे हैं

डैनी ने फिल्म ‘बायोस्कोपवाला’ में मुख्य भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा, यह इसलिए विशेष नहीं है क्योंकि मैं मुख्य भूमिका निभा रहा हूं। ऐसा नहीं है कि मैं गाने गा रहा हूं या पेड़ के चारों ओर नृत्य कर रहा हूं। यह एक यथार्थवादी किस्म की फिल्म है। यह एक बहुत ही अपरंपरागत भूमिका है।

डैनी की अगली फिल्म ‘मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी’ है जिसमें कंगना रनौत शामिल हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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