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अमेरिका की योग के बाद आयुर्वेद में बढ़ रही दिलचस्पी
नई दिल्ली, 20 जून (आईएएनएस)| योग के बाद अब आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति पश्चिमी देशों में दिलचस्पी बढ़ रही है। अमेरिका के कैलिफोर्निया में 22 जून से शुरू हो रहे इंडो-यूएस वेलनेस समागम में बड़ी संख्या में भारतीय संस्थान, कंपनियां व विशेषज्ञ हिस्सा लेने जा रहे हैं, जो वहां आयुर्वेद, योग, हर्बल, प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े अपने उत्पाद प्रदर्शित करेंगे। अमेरिकी एजेंसियों की ओर से आयोजित होने वाले इस समारोह में भारत का आयुष मंत्रालय भी एक सहयोगी है। इस समारोह में केरल आयुर्वेद, डाबर और एमिल फार्मास्युटिकल जैसी नामी भारतीय कंपनियां भी हिस्सा ले रही हैं।
यह तीन दिवसीय समारोह 22 से 24 जून के बीच कैलिफोर्निया के सेंट क्लारा कन्वेंसन केंद्र में आयोजित किया जाएगा। अमेरिका के वेलनेस व्यवसाय से जुड़ी कंपनियां इसमें हिस्सा लेंगी। साथ ही समारोह में विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान भी दिए जाएंगे।
भारतीय कंपनियों को इस समागम में अपनी दवाएं एवं पोषक उत्पादों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। आमतौर पर मधुमेह की दवाएं अमेरिका या अन्य विकसित देशों में खोजी जाती हैं और फिर भारत में बिकती हैं। लेकिन यह पहला मौका होगा जब सीएसआईआर द्वारा विकसित मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 को अमेरिका में प्रदर्शित किया जाएगा।
अमेरिका में तीन करोड़ मधुमेह रोगी हैं और वे मधुमेह के इलाज के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग को वैकल्पिक उपचार के रूप में अपना रहे हैं।
एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने कहा, वेलनेस रैंकिग में अमरीका 85 स्थान पर है। इसे सुधारने के लिए वह आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों की तरफ रुख कर रहा है।
भारतीय मूल के चिकित्सक डॉ. भगवती भट्टाचार्य ने हाल में एक बयान जारी कर कहा, अमरीकियों ने पहले योग को अपनाया, जिससे उन्हें फायदा हुआ। अब वे आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाने के पीछे अमेरिकियों की सोच स्वस्थ बने रहना है। भारतीय आयुर्वेद या हर्बल उत्पादों को अमेरिका में दवा तो नहीं माना जाता, लेकिन स्वस्थ रखने वाले उत्पादों के रूप में उनकी मान्यता खासी बढ़ रही है।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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