अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिकी प्रतिबंध के बाद सुधरेगा पाकिस्तान?
सवाल यह है कि पाकिस्तान पर क्या इस कार्रवाई से कोई फर्क पड़ने वाला है। पड़ोसी मुल्कों में आतंक की आपूर्ति नीति पर क्या वह प्रतिबंध लगाएगा, उसके नजरिए में क्या कोई बदलाव आएगा। लेकिन भारत ने एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है।
पूर्व की ओबामा सरकार से भारत की गहरी दोस्ती का आकार अब बड़ा होने लगा है। जिसकी वजह से चीन और पाकिस्तान की जमीन हिलने लगी है। पाकिस्तान की धरती पर लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हक्कानी नेटवर्क के दिन लदने वाले हैं, क्योंकि अमेरिकी सीनेट ने पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य मदद पर शर्तो के साथ प्रतिबंध लगा दिया है, वहीं भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए विधेयक पारित किया है। यह दोनों देशों के संबंधों के बीच कूटनीतिक जीत है।
भारत-अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों ने एक मिसाल कायम की है। नवाज सरकार को साफ शब्दों में कहा गया है कि आतंक पर दोहरी नीति नहीं चलेगी। पाकिस्तान को अपनी धरती से आतंकी शिविरों को हर हाल में नष्ट करना होगा। अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। ट्रंप सरकार ने साफ कहा है कि आतंक के खात्मे के लिए उससे जो उम्मीद की गई थी, वह पूरी तरफ उस पर खरा नहीं उतरा। हक्कानी नेटवर्क पर वह प्रतिबंध नहीं लगा पाया।
अमेरिका ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के शिविरों को भी बंद करने का ऐलान किया है। पाकिस्तान को मिलने वाले करोड़ों के रक्षा बजट में तीन संशोधन किए गए हैं। यह प्रस्ताव 81 के मुकाबले 344 मतों से पारित हुआ। भारत के लिए यह बड़ी जीत है। अमेरिका ने 2571 करोड़ की सैन्य मदद पर शर्तों के साथ रोक लगाई है। यह मदद 2017-18 के लिए दी जानी थी। इसके पहले भी 2016 में 30 करोड़ की सैन्य मदद पर प्रतिबंध लगाने के साथ 8 एफ-16 विमानों की सस्ती खरीद पर भी रोक लगा चुका है। इसके बावजूद पाकिस्तान का आतंक प्रेम कम नहीं हो रहा।
इस वर्ष पाकिस्तान को 90 करोड़ डालर की सहायता मिलनी थी, जिसमें पाकिस्तान 55 करोड़ डालर हासिल कर चुका है, लेकिन प्रतिबंध के बाद बाकी राशि नहीं दी जाएगी। हक्कानी नेटवर्क की स्थापना मौलवी जलालुद्दीन ने की थी। यह पूरी तरफ आतंकी संगठन है, जो अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ यह काम करता है। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान जैसे आतंकी संगठनों को पाकिस्तान में खुलेआम ट्रेनिंग दी जाती है। पड़ोसी मुल्कों में हमले करने के लिए आतंकियों को फंड भी उपलब्ध कराया जाता है।
अमेरिका ने साफ कहा है कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह और स्वर्ग साबित हो रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान अपनी आदतों में सुधार लाएगा। आतंकी घोषित होने के बाद भी सैयद सलाहुद्दीन ने पाकिस्तान टेलीविजन पर खुलेआम भारत में आतंकी विस्फोट करने की धमकी दी, जिसके बाद अमरनाथ यात्रियों पर हमला हुआ।
पाकिस्तान की अंधी नवाज शरीफ सरकार को यह साफ क्यों नहीं दिखाई देता? फिर यह कैसे मान लिया जाए कि अमेरिका द्वारा आतंकी देश घोषित किए जाने के बाद पाकिस्तान की धरती से चलाए जा रहे सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगेगी? अमेरिकी कांग्रेस की सालाना रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म’ में कहा गया है कि पाकिस्तान ने तालिबान या हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। 2016 में पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तानी टीम भारत गई थी। इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था, लेकिन पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद दोनों महाशक्तियों के बीच कूटनीतिक रिश्तों में अहम बदलाव आए हैं। पाकिस्तान में पनाह लिए सैयद सलाहुद्दीन को आतंकी घोषित करना भारत के संबंधों में विश्वास की पहली सीढ़ी साबित हुई। दूसरी तरफ चीन को बड़ा झटका भी लगा है, क्योंकि हाफिज सईद के मसले पर वह वीटो का प्रयोग करता रहा है। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बिल्कुल साफ कहा है कि कश्मीर में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देने में चीन का हाथ साफ नजर आ रहा है, क्योंकि आतंकी हमलों के बाद मिलने वाले आधुनिक हथियार चीन के बने होते हैं। कश्मीर को अस्थिर करने की एक सोची समझी रणनीति है, इसे भारत विरोधी ताकतें मंजिल तक पहुंचा रही हैं।
पत्थरबाज वही हैं, जिन्हें पाकिस्तान और आतंकी संगठनों की तरफ से कुछ कागज के टुकड़े दिए जाते हैं और उसी की विसात पर सैनिकों पर हमले किए जाते हैं। एक तरफ अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य मदद देने पर जहां शर्ते लगा दी है, वहीं दूसरी तरफ भारत के साथ रक्षा बजट बढ़ाने के लिए सीनेट ने 621.5 अरब डालर का रक्षा विधेयक पास किया है। उपलब्ध कराई गई इस राशि के जरिए भारत और अमेरिका सुरक्षा मसलों पर एक साथ मिलकर काम करेंगे।
ट्रंप और मोदी की यह नीति दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाने में कामयाब होगी। इन्हीं सब कारणों से चीन घबराया हुआ है और वह कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के साथ खड़ा है। कश्मीर पर पंचायत करने की बात भी उसकी नीति का हिस्सा थी। वह अलगाववादियों को मदद पहुंचा रहा है और भारत, तिब्बत की सीमा पर सड़क बनाने की जिद पर अड़ा है। लेकिन भारत की तरफ से कड़ा प्रतिरोध जताया गया है। हाल में मालबार तट पर अमेरिका, जापान और भारत की तरफ से किया गया संयुक्त सैन्य अभ्यास पाकिस्तान और पड़ोसी चीन के लिए कड़ा संदेश है।
आतंकवाद भारत के लिए बड़ी चुनौती है। भारत पूरी मजबूती से आतंक के खिलाफ लड़ रहा है, लेकिन जब तब वैश्वि स्तर पर एंटी टेररिज्म नीति नहीं बनेगी, तब तक आतंकवाद पर लगाम लगाना बेहद मुश्किल है। वैश्विक स्तर पर अलग से एंटी टेररिज्म सेल गठित होने चाहिए और देशों को आपस में खुफिया जानकारी हासिल करनी चाहिए। सिर्फ प्रतिबंध लगाने से कुछ होने वाला नहीं है, क्योंकि दुनिया में इस्लाम के नाम पर जेहादी तैयार किए जा रहे हैं। जहां युवाओं को धर्म की घुट्टी पिलाकर आतंकी बनाया जा रहा है।
इस मिथक को तोड़ना होगा। आतंक के खिलाफ जब पूरी दुनिया एक साथ खड़ी होगी तभी बात बनेगी। आतंकवाद ने एक-एक कर दुनिया के सभी बड़े मुल्कों को निशाना बनाया है। इस्लामिक देशों में इसका हाल किसी से छुपा नहीं है।
इराक ने मोसुल को आईएस के चंगुल से कैसे मुक्त कराया, यह किसी से छिपा नहीं है। दुनिया को अपनी नीति में बदलाव लाना होगा। तभी इस समस्या का हल निकल सकता है। हलांकि अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर यह शुरुआत कर दी है और यह शुभ संकेत है। अमेरिका और भारत के साथ दुनिया के मुल्कों को एक मंच पर आना चाहिए, क्योंकि आतंकवाद से सभी देश पीड़ित हैं। (आईएएनएस/आईपीएन)
( उपुर्यक्त लेख लेखक के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )
अन्तर्राष्ट्रीय
नाइजीरिया में पीएम मोदी का भव्य स्वागत, लोगों ने लगाए ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में रविवार सुबह नाइजीरिया पहुंचे। नाइजीरिया की राजधानी अबुजा में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। अबुजा हवाई अड्डे पर बड़ी तादाद में भारतीय समुदाय के लोग पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे। लोगों ने इस मौके पर ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारा लगाए।
बता दें कि 17 सालों में इस पश्चिमी अफ्रीकी देश में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा है। पीएम मोदी के अबुजा पहुंचने पर संघीय राजधानी क्षेत्र के मंत्री न्येसोम एजेनवो वाइक ने उनका जोरदार स्वागत किया। साथ ही प्रतीकात्मक रूप से अबुजा के शहर की चाभी भेंट की।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रपति टीनूबू के उस पोस्ट का जवाब दिया जिसमें लिखा था, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाइजीरिया की पहली यात्रा पर उनका स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं, जो 2007 के बाद से किसी भारतीय प्रधान मंत्री की हमारे प्रिय देश की पहली यात्रा भी है। हमारी द्विपक्षीय चर्चाओं में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। पीएम मोदी नाइजीरिया में आपका स्वागत है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए पोस्ट में लिखा, ‘धन्यवाद, राष्ट्रपति टीनूबू। कुछ समय पहले नाइजीरिया में लैंड किया। गर्मजोशी से स्वागत के लिए आभारी हूं। यह यात्रा हमारे देशों के बीच द्विपक्षीय मित्रता को और गहरा करेगी।’
रक्षा क्षेत्र में भारत के साथ व्यापार करना चाहता है नाइजीरिया
पीएम मोदी के इस यात्रा के दौरान के भारत और नाइजीरिया के बीच स्थापित रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। रक्षा क्षेत्र को लेकर भी दोनों देशों के बीच विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है। नाइजीरिया छोटे हथियारों, गोला-बारूद और बख्तरबंद वाहनों जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के लिए भारत की तरफ काफी उत्सुक है।
आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे संपन्न अफ्रीकी देशों में से एक नाइजीरिया और भारत के मधुर रिश्तों में आने वाले दिनों में गर्माहट और तेज होने के आसार है। खासतौर पर दोनों देशों के बीच आर्थिक व सैन्य सहयोग के नए युग की शुरुआत होने के संकेत है।
इन देशों की यात्रा पर रहेंगे पीएम मोदी
बता दें कि पीएम मोदी की पश्चिमी अफ्रीकी क्षेत्र की यह पहली यात्रा है। इसके अलावा वह ब्राजील और गुयाना की यात्रा पर रहेंगे। नाइजीरिया के बाद प्रधानमंत्री ब्राजील के लिए रवाना होंगे। दरअसल, पीएम मोदी ब्राजील में ट्रोइका सदस्य के तौर पर 19वें जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। फिर पीएम मोदी 18 और 19 नवंबर को रियो डी जेनेरियो में होने वाले शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ भाग लेंगे। बताते चलें कि ब्राजील और दक्षित अफ्रीका के साथ भारत भी जी20 ट्रोइका का हिस्सा है।
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