Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी से उतारने में लगा विपक्ष

Published

on

लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष, अर्थशास्त्री पीएम, यूपीए सरकार, मनमोहन सिंह, विकास दर 5 से छह प्रतिशत, रेटिंग एजेंसियों, भारतीय अर्थव्यसवस्थार, नकारात्मलक अंक, 10 प्रतिशत विकास दर, नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री, सरकार की नीतिगत जड़ता

Loading

लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष हमेशा फलदायी होता है लेकिन इसके उलट मजबूर विपक्ष देश की व्‍यवस्‍थाओं के लिए घातक भी हो सकता है। वर्तमान में केंद्रीय भारतीय विपक्षी दलों का यही हाल है। जब यूपीए सरकार ने मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व में दूसरी बार केंद्र की सत्‍ता संभाली उस समय यही लगा था कि एक अर्थशास्‍त्री पीएम के होने से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को पंख लग जाएंगे यह आशावाद इसलिए भी था क्‍योंकि भारत में उदारीकरण के जन्‍मदाता मनमोहन सिंह ही माने जाते हैं। 1991 में नरसिंहराव सरकार में वित्‍त मंत्री रहते उन्‍होंने उदारीकरण का जो रास्‍ता अपनाया था कमोबेश उसी पर बाद की सभी सरकारें चलीं लेकिन यूपीए2 में हुए भयंकर घोटालों ने देश की आर्थिक स्थिति को रसातल में पहुंचा दिया।

यूपीए2 के शासन काल में विकास दर 5 से छह प्रतिशत के बीच झूलती रही कई वित्‍तमंत्री बदलने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ विश्‍व की लगभग सभी रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को नकारात्‍मक अंक दिए। मोदी सरकार को सत्‍ता संभाले अभी एक वर्ष भी ठीक तरह से नहीं हुआ है और विकास दर 7.5 प्रतिशत से ज्‍यादा पहुंच गई है। रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को विश्‍व की सबसे तेज अर्थव्‍यवस्‍था का दर्जा दिया है। 80रूपये तक पहुंच चुके डालर के दाम आज फिर 60 से 65 के बीच हैं। आज हम 10 प्रतिशत विकास दर के सपने देखने लगे हैं और ऐसा लगता है प्राप्‍त भी कर लेंगे।

आखिर ऐसा क्‍यों हुआ? वही देश, वही व्‍यवस्‍थाएं, वही तंत्र, सब कुछ वही तो फिर यह बदलाव क्‍यों और कैसे हुआ? जवाब सिर्फ यही नहीं कि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन गए, जवाब यह भी है कि सरकार की नीतिगत जड़ता समाप्‍त हुई जो पिछले दस सालों में यूपीए को लग गई थी।

ऐसा नहीं है कि आर्थिक मोर्चे पर सबकुछ पूरी तरह से ठीक ही हो गया है अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है लेकिन विपक्ष खासकर कांग्रेस द्वारा राज्‍यसभा में सरकार के बहुमत न होने का फायदा उठाकर पटरी पर आती भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की राह में जानबूझकर रोड़े अटकाए जा रहे हैं। लैंड बिल, जीएसटी बिल आदि कुछ ऐसे बिल हैं जिनके लागू होते ही भारतीय अर्थव्‍यव्‍स्‍था की गति वर्तमान से बहुत तेज हो जाएगी।

2014 के चुनावों ने कांग्रेस को सन्निपात की स्थिति में पहुंचा दिया तो उसके लिए क्‍या नरेंद्र मोदी दोषी हैं? कांग्रेस को आत्‍ममंथन करना चाहिए कि उसकी कौन सी गलती ने भारतीय जनता को उनसे दूर कर दिया। बजाय इस आत्‍ममंथन के वो भारत के विकास की राह रोके खड़े हैं। कांग्रेस द्वारा 2013 में पेश किए गए लैंड बिल उनके तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ-साथ कई कांग्रेसी मुख्‍यमंत्रियों ने भी नकार दिया था। आज उसी बिल का महिमामंडन करते कांग्रेस के युवराज नहीं थक रहे हैं। उन्‍हें यह भी बताना चाहिए कि यदि वह बिल इतना ही अच्‍छा था तो उसे वह पास क्‍यों नहीं करवा पाए? अपने ही मंत्रियों व मुख्‍यमंत्रियो में एकराय क्‍यों नहीं बना पाए?

अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को प्राप्‍त करने की कोशिश हर राजनैतिक दल को करनी चाहिए लेकिन यह कोशिश देश के विकास की कीमत पर नहीं हो सकती। कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष को सकारात्‍मक विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए क्‍योंकि देश की जनता सब देख रही है। भारत में अब ऐसा नहीं हो सकता कि सरकारें कुछ भी करती रहें और जनता को कुछ पता ही न चले। भारतीय जनमानस और भारतीय मीडिया इतनी जागरूक हो चुकी है कि कोई सरकार जनता को बहुत दिनों तक धोखा नहीं दे सकती। और फिर पांच साल बाद तो लोकतंत्र का पर्व फिर आएगा ही गलत करने वालों को जनता सबक सिखाएगी जरूर।

 

नेशनल

दिल्ली के आसमान में छाई धुंध, AQI 400 के पार, लोगों को सांस लेने में हो रही मुश्किल

Published

on

Loading

नई दिल्ली। नवंबर का महीना आधा बीत चुकी है, बावजूद इसके इस बार दिल्ली में सिर्फ सुबह और शाम को ही ठंड का अहसास हो रहा है। सुबह-शाम की के समय पड़ रही सर्दी में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो गया है, जिससे लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। हवा की गुणवत्ता को सुधार करने के लिए दिल्ली में ग्रेप-3 लागू किया गया है, लेकिन इससे भी दिल्ली की हवा में कोई खास फर्क नजर नहीं आ रहा है और ये लगातार जहरीली होती जा रही है।

इस बीच रविवार को दिल्ली में वायु का गुणवत्ता सूचकांक 400 के पास निकल गया। इस दौरान राजधानी के दस से ज्यादा इलाकों में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर दर्ज की गई। बता दें कि दिल्ली में फिलहाल GRAP-3 लागू हैं, बावजूद इसके राष्ट्रीय राजधानी की हवा साफ नहीं हो रही. ऐसे में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपाय बेकार नजर आ रहे हैं।

दिल्ली के इन इलाकों में एक्यूआई 400 पार

रविवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर से धुंध छाई नजर आई. इस दौरान द्वारका-सेक्टर 8 और दिल्ली डीपीसीसी द्वारका में एक्यूआई 443 दर्ज किया गया। जबकि एनएसआईटी द्वारका में वायु गुणवत्ता सूचकांक 406 रहा। वहीं पश्चिमी दिल्ली में AQI 426 और डीपीसीसी पश्चिमी दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 406 पहुंच गया. वहीं शादीपुर में ये 457, शिवाजी पार्क में 448 और भीम नगर के साथ मुंडका इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक सबसे ज्यादा 465 दर्ज किया गया।

उधर दिल्ली दुग्ध योजना कॉलोनी में एक्यूआई 430, आरके पुरम में 435, श्री अरबिंदो मार्ग में 436, आया नगर में 423 तो लोधी रोड में वायु की गुणवत्ता 378 दर्ज की गई. जबकि नजफगढ़ एक्यूआई 399, वजीरपुर 463, चांदनी चौक 368 दर्ज किया गया. वहीं गोकलपुरी 375, अशोक विहार 449, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एक्यूआई 366, रोहिणी 449 और आईटीओ में 410 दर्ज किया गया. जो बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है।

Continue Reading

Trending