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मुख्य समाचार

आशुतोष के इस्तीफे को केजरीवाल ने अस्वीकार किया

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)| आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने निजी कारणों का हवाला देते हुए बुधवार को पार्टी छोड़ दी लेकिन आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया।

23 वर्षो तक पत्रकार रहने के बाद 2014 में पार्टी में शामिल होने वाले आशुतोष ने ट्वीट कर पार्टी छोड़ने की घोषणा की और समर्थन देने के लिए पार्टी का शुक्रिया अदा किया।

आशुतोष ने ट्वीट किया, हर सफर का अंत होता है। आप के साथ मेरा सहयोग जो अच्छा और क्रांतिकारी रहा, वह भी खत्म हो गया है। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है (और) इसे स्वीकार करने के लिए अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा, इसके पीछे पूरी तरह से व्यक्तिगत कारण हैं। पार्टी और उन लोगों को धन्यवाद, जिन्होंने मुझे पूरा समर्थन दिया। धन्यवाद।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने मीडिया से उनकी निजता का सम्मान करने का अनुरोध किया।

आशुतोष के आप की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले ट्वीट को रीट्वीट करते हुए केजरीवाल ने कहा कि वह अपने जीवन में इस इस्तीफे को स्वीकार नहीं कर सकते।

केजरीवाल ने ट्वीट किया, हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं। नहीं, इस जीवन में तो नहीं।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, आशुतोष सर, हम सभी आपसे बहुत प्यार करते हैं।

पूर्व पत्रकार आशुतोष ने राज्यसभा में तीन उम्मीदवारों में से दो के चयन पर नाराजगी जताई थी। एक समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीब नजर आने वाले आशुतोष को इसके बाद से पार्टी की अधिकांश गतिविधियों से दूर रखा जाने लगा था।

आशुतोष 2014 लोकसभा चुनाव में दिल्ली के चांदनी चौक क्षेत्र से आप के उम्मीदवार थे, उन्हें भाजपा के हर्षवर्धन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

2019 के लिए पार्टी के प्रवक्ता पंकज गुप्ता को चांदनी चौक के प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है और इस बात की भी उम्मीद है कि वह वहां से उम्मीदवार भी होंगे।

पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य और सांसद संजय सिह ने कहा कि उनका इस्तीफा ‘दिल को तोड़ने वाला है।’ आशुतोष भी इस समिति के सदस्य हैं। संजय सिंह ने आशुतोष से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया।

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने इस निर्णय को ‘दुखद’ बताया।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है और उन्हें अपने निर्णय पर विचार करने के लिए कहा गया है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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