हेल्थ
इथोपिया के 13 हृदयरोगियों की सफल सर्जरी
कोच्चि| इथोपिया के 13 हृदयरोगी 27 मार्च को वापस अपने देश चले जाएंगे। एक वर्ष से 18 वर्ष तक के इन रोगियों का यहां एक सुपरस्पेशियल्टी अस्पताल में इलाज सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। यह बात रविवार को यहां एक हृदय शल्य चिकित्सक ने कही। अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख आर. कृष्णकुमार ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि वह और उनके सहयोगियों ने रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज पूरा किया है।
कोच्चि के कुष्णकुमार ने कहा, “13 रोगी दो सप्ताह पहले आए थे।” उन्होंने कहा कि 13 में से सिर्फ चार रोगियों के साथ उनके माता-पिता आए थे, जिनकी उम्र तीन साल से कम थी। शेष रोगियों के साथ कोई नहीं था। इथोपिया की राजधानी अदीसअबाबा से 400 किलोमीटर दूर गोंडर का रहने वाला फिलिमॉन बरहेनी पहली बार सात महीने की उम्र में बीमार पड़ा था। तब जांच में पता चला था कि उसके हृदय में कई छिद्र हैं।
इथोपिया में इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण उसके माता-पिता को उसे दक्षिण अफ्रीका ले जाने की सलाह दी गई। लेकिन वहां इलाज कराना महंगा था। उसके सैनिक पिता ने उसे अमृता संस्थान लाने का फैसला किया। फिलिमॉन अब 15 साल का है। एक शल्य क्रिया के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ्य हो गया है। उसके हृदय में सात छिद्र थे, जिन्हे बंद कर दिया गया है। वह अब अपने देश जाएगा और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेगा।
इथोपिया से इस संस्थान में आकर इलाज कराने वाले रोगियों का यह आठवां समूह है। इस पहल को अमेरिकन जेविश जॉइंट डिस्ट्रीब्यूशन कमेटी से सहायता मिलती है। कृष्णकुमार ने कहा, “दक्षिण अफ्रीका और इजरायल जैसे देशों में इन रोगों के इलाज पर जितना खर्च होता है, हम उसके आधे में इलाज कर देते हैं। उम्मीद है कि अगले तीन महीने में रोगियों का नया समूह आ जाएगा। हम (इथोपिया के डॉक्टरों के सहयोग से) इन रोगियों के संपर्क में हमेशा रहते हैं।”
अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एक सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल है, जिसकी स्थापना 1998 में हुई थी।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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